बता दें कि श्रद्धालुओं ने शिवलिंगों का जलाभिषेक करके पूजा अर्चना की. शिवजी की पावन पिंडियों को पंचामृत स्नान करवाया गया.
जिले में स्थित नौ ऐतिहासिक शिव मंदिरों में गुरु द्रोणाचार्य की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध गगरेट के शिवबाड़ी, बाबा गरीब नाथ मंदिर कोलका, चताड़ा में बनौड़े महादेव व अर्द्धनारीश्वर, तलमेहड़ा स्थित सदाशिव ध्यूंसर महादेव, बडूही में नीलकंठ महादेव, बंगाणा के चौमुखा महादेव, अरलू के सांडा महादेव और भगवान शिव की 81 फीट ऊंची प्रतिमा वाले महादेव मंदिर कोटला कलां में सुबह होने से पहले ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारे लगना शुरू हो गई थी.
जिले के इन पौराणिक मंदिरों में हिमाचल ही नहीं पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से आए श्रद्धालु भी नतमस्तक हुए. इनमें से ज्यादातर मंदिर पांडव काल के माने जाते है.
वहीं, ध्यूंसर महादेव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित इन मंदिरों का निर्माण किया था. मंदिर में हजारों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और भगवान भोले नाथ उसकी मनोकामना पूरी करते हैं.