अपनी मां और अपने कटे हुए पैर को अपनी ताकत और प्रेरणा बनाने वाली अरुणिमा का कहना है कि जो उपलब्धियां उन्होंने हासिल की हैं, वह चाहती हैं कि उनके साथ देश की और भी महिलाएं खड़ी हों. चाहे वह किसी भी क्षेत्र से क्यों न आती हों. इसके अलावा माउंट क्लाइंबिंग के क्षेत्र में महिलाओं के कम होने पर उन्होंने कहा कि यदि सपॉन्सर और परिवार का सपोर्ट मिले तो महिलाएं जरूर इस क्षेत्र में भी आगे आएंगी. महिला दिवस को केवल एक दिन न मनाया जाए.
हर महिला को एक संकल्प के साथ वुमेनहुड को सेलिब्रेट करना चाहिए. दुनिया की 7 सबसे बड़ी पर्वत चोटियों को फतह करने वाली एक मात्र महिला अरुणिमा भविष्य में 8 हजार के पीक्स जो कि कुल 14 हैं, उन पर चढ़ाई करना चाहती हैं, साथ ही अभी उनका पूरा फोकस पैरा ओलम्पिक पर है.