शनि को हमारे कर्म का और न्याय का देवता माना जाता है. हमारे अच्छे या बुरे कर्मों के पीछे शनि का हाथ होता है. शनि देव का रंग श्याम वर्ण हैं. हमारे अच्छे या बुरे कर्मों पर शनि का नियंत्रण होने से शनि की महत्वता बढ़ जाती है. शनि यदि कुंडली में उत्तम अवस्था में है तो इंसान को बहुत कम समय मे बड़ी सफलता दिलाता है. इसलिए शनि को हर संभव प्रयास करके प्रसन्न करना चाहिए.
– जब व्यक्ति सत्य बोलता है और अनुशासित रहता है.
– जब व्यक्ति कमजोर और निर्बल लोगों की खूब सेवा करता है.
– जब व्यक्ति अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा करता है.
– जब व्यक्ति फलदार और लम्बी अवधि तक रहने वाले पेड़ लगाता है.
– जब व्यक्ति भगवान शिव की या कृष्ण की नियम पूर्वक उपासना करता है.
– शनि को प्रसन्न करने के लिए सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठें.
– पीपल के पेड़ की जड़ में कच्चे दूध में काला तिल और शहद मिलाकर अर्पण करें.
– शनिवार की शाम किसी निर्धन बुजुर्ग व्यक्ति को काले वस्त्रों का दान करें तथा उनका आशीर्वाद लें.
– ऐसा करने से लंबे समय से चली आ रही नौकरी की परेशानी हमेशा के लिए खत्म होगी.
– शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करें.
– शनिवार की शाम सरसों के तेल से बना खाना जरूरतमंद लोगों में बांटे.
– शनिवार सूर्योदय होने से पहले और सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का चौमुखा दीया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं.
– ऐसा करने से आपका रुका हुआ व्यापार चलने लगेगा और धन की वृद्धि होगी.
– शनिवार के दिन काली उड़द का दान करने से शनिदेव की प्रसन्नता मिलती है.
– पीपल के पत्ते पर 27 काली उड़द के दाने रखकर शनि मंदिर में अर्पण करें. ऐसा करने से स्वास्थ्य की समस्या खत्म होगी.
– एक बड़े पान के पत्ते पर अपनी उम्र के बराबर काली उड़द के दानों को बहते पानी में प्रवाह करें. ऐसा करने से आप की नकारात्मकता दूर होंगी.