मेहंदीपुर बालाजी यह भगवान हनुमान जी का एक मंदिर है, यह मंदिर भारत में राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है. यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है जोकि न सिर्फ़ हिन्दू के ही देवता है, बल्कि इनकी चमत्कारी शक्ति की वजह से सभी इनकी पूजा अर्चना करते है और इनमे आस्था रखते है. बालाजी भगवान हनुमान जी का दूसरा नाम है, भारत के कुछ भाग में बालाजी नाम से भी इनको बुलाया जाता है. बालाजी उनके बचपन का नाम है, इसका संस्कृत और हिंदी में भी उपयोग होता है. अन्य धार्मिक स्थानों की तरह यह शहर में स्थित है. बाला जी की मूर्ति में छाती के बाये तरफ एक छोटा सा छेद है, जिसमे से हमेशा पानी की एक पतली धारा बहते रहती है. इस पानी को एक टैंक में इकठ्ठा करके भगवान बाला जी के चरणों में रख कर लोगो में वितरित किया जाता है और सभी लोग इसे प्रसाद की तरह लेते है.
यह मंदिर करौली जिले के टोडाभीम में स्थित है, यह भारत के राज्य राजस्थान के शहर हिन्दौन के एकदम नजदीक है. यह मंदिर एक और कारण से भी चर्चित है जो ये है कि यह मंदिर दो जिलों के बीच में है. इस मंदिर का आधा भाग करौली और आधा भाग दौसा में है, इसके सामने ही एक राम मंदिर है, जोकि मुख्य मंदिर है. वह भी इसी तरह दो भागों में बंटा हुआ है.
यह मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 66 किलो मीटर की दुरी पर है. इसके साथ ही अगर जयपुर और आगरा नेशनल हाई वे नंबर 11 से जाया जाए तो बालाजी मोड़ से मंदिर की दुरी 3 किलो मीटर तक की होगी. यह 3 किलो मीटर आप साझे में टुक टुक से 10 रूपये में पहूँच सकते है. अगर जयपुर से बालाजी मोड़ तक बस से जाए तो भाडा 110 रूपए तक लगता है. बाला जी मंदिर की दुरी हिन्दौन शहर के रेलवे स्टेशन से 44 किलो मीटर और दौसा से 38 किलो मीटर है. साथ ही यह बंदिकुइ रेलवे स्टेशन से बहुत ही ज्यादा नजदीक है. बांदीकुई रेलवे स्टेशन से मेहंदीपुर बाला जी मंदिर के बीच की दुरी 36 किलो मीटर है.
यह धार्मिक स्थल दिल्ली से 255 किलोमीटर, आगरा से 140 किलोमीटर, रेवारी से 177 किलोमीटर, मीरुत से 310 किलोमीटर, अलवर से 80 किलोमीटर, श्री महावीरजी से 51 किलोमीटर, भरतपुर से 40 किलोमीटर, गंगापुर शहर से 66 किलोमीटर, बंदिकुल से 32 किलोमीटर, महवा से 17 किलोमीटर, चंडीगढ़ से 520 किलोमीटर, हरिद्वार से 455 किलोमीटर, देहरादून से 488 किलोमीटर, देओबंद से 395 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
मंदिर का इतिहास 1000 साल पुराना है. इस मंदिर के पीछे कहानी बताई जाती है कि एक बार मंदिर के पुराने महंत जिनको लोग घंटे वाले बाबा जी के नाम से भी जानते है, उन्होंने एक सपना देखा था. जिसमे उन्होंने तीन देवता को देखा था, जोकि बाला जी के मंदिर के निर्माण का पहला संकेत था. वहाँ जगह जंगली जानवर और जंगली पेड़ों से भरा था अचानक भगवान प्रकट हुए और उन्होंने महंत को आदेश दिया, कि वे सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. फिर वहा पर पूजा अर्चना शुरू कर दी गई. फिर बाद में तीन देवता वहाँ स्थापित हो गये.
यह मंदिर भारत के उत्तरी हिस्से में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर की देखभाल महंत द्वारा की जाती है. इस मंदिर के पहले महंत गणेश पूरी जी महाराज थे, अभी वर्तमान में मंदिर के महंत है श्री किशोर पूरी जी. वह बहुत ही सख्ती से सभी धार्मिक नियमों का पालन करते है, वह पूरी तरह से शाकाहार का पालन करते है. और धार्मिक किताबे भी पढ़ते है. बालाजी मंदिर के सामने स्थित सियाराम भगवान का मंदिर बहुत ही भव्य और सुसुन्दर है. मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति बहुत ही मनोरम है. शनिवार और मंगलवार को इस मंदिर में विशेष रूप से पूजा होती है और भोग भी लगते है.
दुष्ट आत्माओं के संकट से बचने के लिए जो पीड़ित व्यक्ति है, वह प्रसाद के रूप में अर्जी, स्वामिनी, दरखास्त, बूंदी के लड्डू इत्यादि को बालाजी महाराज के ऊपर चढ़ाकर ग्रहण करते है और जो बुरी आत्मा है, उसको शांत करने के लिए उसके सरदार भैरव बाबा को चावल और उड़द दाल चढाते है.
इस मंदिर के नजदीक और भी मंदिर है, जिनके भी लोग दर्शन करते है और पूजते है. इनके नजदीक है अंजनी माता मंदिर, काली माता जी की मंदिर जोकि तीन पहाड़ पर स्थित है. पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर और गणेश जी का मंदिर जोकि सात पहाड़ पर स्थित है. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में एक और महत्वपूर्ण स्थान है जिसका लोग दर्शन ज़रूर करते है वह है समाधि वाले बाबा. यह मंदिर के सबसे पहले महंत थे. उनकी समाधी वही पर बनी हुई है.