लोकसभा चुनावों के बाद हिमाचल विधानसभा की तस्वीर बदलनी तय है। भाजपा और कांग्रेस सिटिंग विधायकों को ही लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी बनाने की दौड़ में शामिल हो गई हैं। जाहिर है, परिणाम आने के बाद प्रदेश की विधानसभा में दोनों ही दलों के विधायकों की संख्या बदलना तय है। वर्तमान समय में प्रदेश विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के जहां 44 विधायक हैं, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 21 सदस्य हैं।
भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक शिमला में जिन दो चेहरों को लोकसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतारा है, वह दोनों ही वर्तमान में विधायक हैं। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुरेश कश्यप सिरमौर के पच्छाद से विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी डा. धनीराम शांडिल सोलन से विधायक हैं। ऐसे में इस सीट पर इन दोनों में जिस भी प्रत्याशी की जीत हुई, उस प्रत्याशी के विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना तय है।
वहीं भाजपा ने कांगड़ा में जयराम सरकार के मंत्री व धर्मशाला से विधायक किशन कपूर को उतार दिया है। कांग्रेस कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक पवन काजल पर दांव खेलने पर विचार कर रही है। अगर काजल का टिकट तय होता है तो इस सीट पर भी उपचुनाव होना तय है। वहीं, हमीरपुर सीट पर भाजपा ने तो वर्तमान सांसद अनुराग ठाकुर को ही चौथी बार मौका दिया है, लेकिन कांग्रेस की ओर से जिन तीन नामों की चर्चा है उनमें दो सिटिंग विधायक हैं।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री हरोली से और सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में इस सीट पर भी चुनाव परिणाम उपचुनाव की परिस्थिति पर निर्भर करेंगे। अकेले मंडी सीट ही एकमात्र ऐसी सीट है, जहां भाजपा और कांग्रेस की ओर से सिटिंग विधायक को नहीं उतारा गया है।