Home Bhopal Special गैस राहत अस्पतालों में नहीं मिल रहा इमरजेंसी में इलाज…

गैस राहत अस्पतालों में नहीं मिल रहा इमरजेंसी में इलाज…

9
0
SHARE

मप्र हाईकोर्ट में सोमवार को भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बनाए गए अस्पतालों की स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई। मॉनीटरिंग कमेटी ने 13वीं त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में गैस पीड़ितों के इलाज व सुविधाओं के संबंध सुझाव दिए हैं। हाईकोर्ट ने इस पर अमल करने के निर्देश राज्य और केंद्र सरकार के अफसरों को दिए हैं।

कमेटी ने रिपोर्ट में बताया है कि गैस पीड़ितों के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों व केंद्र सरकार द्वारा संचालित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचअारसी) में 24 घंटे तय प्रोटोकॉल के हिसाब से इमरजेंसी में इलाज नहीं मिल रहा। मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि इमरजेंसी में मरीज को मिलने वाले इलाज की मॉनिटरिंग के साथ प्रोटोकॉल तय किया जाए। साथ ही अस्पतालों में मरीजों के लिए 24 घंटे एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध कराई जाए ताकि रैफर करने में आसानी हो।

कमेटी ने सवाल खड़ा किया है कि बीएमएचआरसी में 38 मेडिकल ऑफिसर के लिए भर्ती निकाली गई, लेकिन हुई सिर्फ 33 लोगों की। 5 पदों को नहीं भरा जबकि वेटिंग में डॉक्टर थे। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिए कि बीएमएचआरसी व एम्स भोपाल के मर्जर पर जल्द निर्णय लें। जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस संजय द्विवेदी की खंडपीठ ने कहा कि मर्जर के दौरान डॉक्टरों और स्टाफ की सेवा शर्तों पर अंतिम निर्णय लें। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि कमेटी ने जो सुझाव इलाज और अन्य व्यवस्थाओं के लिए दिए हैं, उनका सख्ती से पालन कराया जाए। अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी।  हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बीएमएचआरसी में बंद पड़े डिपार्टमेंट में डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

मंगलवार से डॉक्टरों के इंटरव्यू शुरू कर दिए जाएंगे। उम्मीद है कि अगले एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। डॉक्टरों की नियुक्ति के बाद बंद पड़े विभागों में इलाज की सुविधा शुरू हो जाएगी। एक साल पहले भी बीएमएचआरसी में डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन डॉक्टरों के रूचि नहीं लेने के कारण यह पूरी नहीं हो पाई थी। अब दोबारा यहां पर 16 डॉक्टरों की नई सिरे से भर्ती करने के लिए यूपीएससी ने शुरू की है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में दिए सुझावों और बताई गईं कमियों को पूरा करने अब तक क्या कार्रवाई की गई। कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों को रिपोर्ट पर बिंदुवार हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा था कि कुछ रोगों का इलाज नहीं होने पर बीएमएचआरसी से मरीजों को निजी या अन्य अस्पतालों में रैफर किया जाता है। अगर ऐसा होता है तो मरीज को कैशलेस सुविधा प्रदान करें। सुनवाई के दौरान पीड़ितों संगठनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश हो रही है, लेकिन उस पर कोई क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। अस्पतालों में जो समस्याएं हैं, वो जस के तस है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here