उपभोक्ता फोरम की बेंच- 2 ने उपभोक्ता को राहत देते हुए शीतलपेय बनाने वाली कंपनी कोकाकोला और उसके डीलर के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उपभोक्ता को कुल 10 हजार रुपए अाैर 11 रुपए बाॅटल की कीमत वापस करने के आदेश दिए हैं
दरअसल एक उपभोक्ता ने फाेरम में शिकायत करते हुए बताया कि उसने एक दुकान से कोकाकोला कंपनी के ब्रांड फेंटा की 5 बाॅटल खरीदी थीं। चार बाॅटल सही थी लेकिन एक बाॅटल में कचरा था। जब इसकी शिकायत संबंधित दुकानदार से की ताे उसने डीलर अाैर कंपनी से बात करने को कहा। डीलर अाैर कंपनी ने उपभोक्ता की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया अाैर अभद्र तरीके से बातचीत की गई। फाेरम की बेंच में अध्यक्ष भारत-भूषण श्रीवास्तव, अनिल कुमार वर्मा अाैर अलका सक्सेना ने की।
क्या है पूरा मामला : उपभोक्ता फोरम की बेंच-2 में शंकराचार्य नगर निवासी कमला कुशवाहा ने 17 दिसंबर 2009 को हिंदुस्तान कोकाकोला बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड, शांति एजेंसी मयूर विहार अशोका गार्डन और चित्रांश स्टेशनरी एंड प्रोटीन्स के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने चित्रांश स्टेशनरी से 10 जून 2009 को कोकाकोला कंपनी के ब्रांड फेंटा की बॉटल खरीदी थी। चार बॉटल तो सही निकलीं लेकिन एक बॉटल में कचरा था। जिसकी शिकायत उन्होंने चित्रांश स्टेशनरी के मालिक प्रदीप नामदेव से की। उन्होंने कहा कि उन्होंने बॉटल प्रेम मेहता प्रोपराइटर शांति एजेंसी से मंगाई थी। उन्होंने जब प्रेम मेहता से बात की तो उन्होंने कंपनी से बात करने को कहा। इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने अभद्र तरीके से बात की। इसके बाद उन्होंने फोरम में परिवाद दायर किया। साथ ही फेंटा की बॉटल भी फोरम प्रस्तुत की। इसके बाद फोरम ने बॉटल को जांच के लिए भेजा था।
फोरम का तर्क : रिपोर्ट के आधार दिया गया है फैसला: बेंच का कहना था कि फोरम ने बॉटल को राज्य खाद्य अपमिश्रण अनुसंधान प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा था। रिपोर्ट में बॉटल में कचरा होने की पुष्टि हुई है। साथ ही बताया गया कि बॉटल की टेम्परिंग नहीं हुई। बेंच ने कंपनी और डीलर के तर्क को खारिज करते हुए बॉटल की कीमत 11 रुपए, 5 हजार रुपए हर्जाना और 5 हजार रुपए परिवाद व्यय देने के आदेश दिए। फोरम ने चित्रांश स्टेशनरी को सेवा में कमी का दोषी नहीं माना। फोरम का कहना था कि शिकायत के बाद उसने डीलर और कंपनी से बात करने के लिए उपभोक्ता को नंबर उपलब्ध कराया।
यहां शिकायत करें उपभोक्ता : केस का निर्धारण कंज्यूमर के नुकसान के आधार पर किया जाता है। अगर नुकसान 20 लाख रुपए से कम का है तो जिला फोरम में इसकी शिकायत की जा सकती है। 20 लाख से ऊपर और 1 करोड़ रुपए से कम का नुकसान होने पर राज्य आयोग पर शिकायत दर्ज करानी होती है। अगर नुकसान एक करोड़ रुपए से ज्यादा है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
कंपनी और डीलर ने कहा- खारिज की जाए शिकायत : कंपनी और डीलर की ओेर से पक्ष रखते हुए एडवोकेट एसके सिंह ने कहा कि बॉटल की टेम्परिंग की गई है। कंपनी हाई स्टेंडर्ड क्वालिटी मेंटेन करती है। आवेदक ने कंपनी की बदनाम करने के लिए परिवाद दायर किया। इसके चलते परिवाद को खारिज किया जाए।