ऊना। निजी स्कूलों की मनमानी और हाई कोर्ट के निर्देश न मानने पर शिक्षा विभाग ने नाराजगी जताई है। विभाग ने रिपोर्ट न देने वाले स्कूलों को तीन अप्रैल शाम 5 बजे तक का समय है। अन्यथा ऐसे स्कूलों की एनओसी रद की जाएगी।
हाई कोर्ट ने दो साल पहले निजी स्कूलों को फीस और फंडों में पारदर्शिता लाने के लिए निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि सभी निजी स्कूल अपने विद्यालय की वेबसाइट तैयार करें। स्कूल में एक डिस्पले बोर्ड भी बनाएं। इसमें स्कूल प्रबंधनों को विद्यार्थियों से हर वर्ष, हर माह और हर दिन ली जाने वाली नामों से फीस और फंडों की रिपोर्ट को वेबसाइट और डिस्पले बोर्ड में दर्शानी थी। साथ ही जिन सुविधाओं के नाम पर स्कूल प्रबंधन फीस और फंड ले रहा है, वह उनको विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध करवा रहा है या नहीं। इस बारे में भी स्कूल प्रबंधकों को डिस्पले बोर्ड और वेबसाइट पर दर्शाना होगा।
इसके बावजूद धरातल पर निजी स्कूल हाई कोर्ट के निर्देशों को अनदेखा कर उन्हें हल्के में ले रहे हैं। कुछ स्कूलों ने वेबसाइट और डिस्पले बोर्ड बनाए भी हैं, लेकिन उसमें फीस और फंड की जानकारी नहीं दी है। शिक्षा विभाग के अनुसार निजी स्कूल प्रबंधनों को शिक्षा विभाग दोबारा से दिए गए निर्देशों के अनुसार पहली अप्रैल तक एक सर्टिफिकेट जमा करवाने के आदेश दिए थे कि उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेशों को पूर्ण रूप से लागू कर दिया है व सारी जानकारी सूचना पट्ट व वेबसाइट पर अपलोड कर दी है या नहीं।
एक दिन का दिया समय : धीमान
उच्चतर शिक्षा उपनिदेशक बीआर धीमान ने बताया कि निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग की ओर से मात्र एक दिन का समय दिया गया है। अगर निजी स्कूल प्रबंधनों ने यह रिपोर्ट 3 अप्रैल शाम पांच बजे तक शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय में नहीं पहुंचाई तो उनके नाम उजागर कर उनकी एनओसी रद्द कर दी जाएगी। साथ ही उच्चाधिकारियों को इन लापरवाह स्कूलों के नाम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के लिए भेज दिए जाएंगे।