6 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं, जो कि 14 अप्रैल तक चलेंगे. साल में सबसे पहले आने वाले इस नवरात्रि के साथ-साथ हिंदू नव वर्ष भी मनाया जाता है. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (इसे मराठी नव वर्ष के तौर पर भी जाना जाता है) कहा जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि के रूप में मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है. साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाते हैं. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. साल में दो बार नवरात्रि पड़ती हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है.
चैत्र नवरात्रि कब हैं?
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है. चैत्र महीने की शुरुआत होते ही नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि की धूम रहती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक यह त्योहार हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक चलेंगे.
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 4 घंटे 7 मिनट तक चलेगा.
सुबह – 06:19 से 10:26 तक
नवरात्रि की पूजा-विधि
1. सबसे पहले सुबह नहा-धोकर मंदिर के पास ही पटले पर आसन बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करें.
2. माता को चुनरी उढ़ाएं और शुभ मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना करें.
3. सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लें और माता की पूजा आरंभ करें.
4. नवरात्रि ज्योति प्रज्वलित करें इससे घर और परिवार में शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है.
5. माता को लैंग, पताशा, हरी इलायची और पान का भोग लगाएं.
6. भोग लगाने के बाद माता की 9 बार आरती करें.
7. हर मां का नाम स्मरण करते रहें.
8. अब व्रत का संकल्प लें.
नवरात्रि का महत्व
साल में चार बार नवरात्रि आती है. आषाढ़ और माघ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि होते हैं जबकि चैत्र और अश्विन प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र के ये नवरात्र पहले प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र नवरात्र से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है. वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान दशहरा मनाया जाता है. बता दें, हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
नवरात्रि की अंखड ज्योति
नवरात्रि की अखंज ज्योति का बहुत महत्व होता है. आपने देखा होगा मंदिरों और घरों में नवरात्रि के दौरान दिन रात जलने वाली ज्योति जलाई जाती है. माना जाता है हर पूजा दीपक के बिना अधूरी है और ये ज्योति ज्ञान, प्रकाश, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है.
अखंड ज्योति से जुड़े नियम
1. दीपक जलाने के लिए बड़े आकार का मिट्टी या पीतल का दीपक लें.
2. अखंड ज्योति का दीपक कभी खाली जमीन पर ना रखें.
3. इस दीपक को लकड़ी के पटरे या किसी चौकी पर रखें.
4. दीपक रखने से पहले उसमें रंगे हुए चावल डालें.
5. अखंड ज्योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है. इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें.
6. अब दीपक में घी डालें. अगर घी ना हो तो सरसों या तिल के तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
7. मान्यता अनुसार अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए.
8. दीपक जलाने से पहले गणेश भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव का ध्यान करें.
9. अगर किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अखंड ज्योति जला रहे हैं तो पहले हाथ जोड़कर उस कामना को मन में दोहराएं.
10. ये मंत्र पढ़ें.
अब “ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।”
11. अब दीपक के आस-पास कुछ लाल फूल भी रखें.
12. ध्यान रहे अखंड ज्योति व्रत समाप्ति तक बुझनी नहीं चाहिए. इसलिए बीच-बीच में घी या तेल डालते रहें और बाती भी ठीक करते रहें.
चैत्र नवरात्रि की तिथियां के साथ जानिए माता के रूपों के नाम :-
6 अप्रैल 2019: नवरात्रि का पहला दिन – शैलपुत्री का पूजन
7 अप्रैल 2019: नवरात्रि का दूसरा दिन – बह्मचारिणी पूजन
8 अप्रैल 2019: नवरात्रि का तीसरा दिन – चंद्रघंटा का पूजन
9 अप्रैल 2019: नवरात्रि का चौथा दिन – कुष्मांडा का पूजन
10 अप्रैल 2019: नवरात्रि का पांचवां दिन – स्कंदमाता का पूजन
11 अप्रैल 2019: नवरात्रि का छठा दिन – सरस्वती का पूजन
12 अप्रैल 2019: नवरात्रि का सातवां दिन – कात्यायनी का पूजन
13 अप्रैल 2019: नवरात्रि का आठवां दिन – कालरात्रि का पूजन (कन्या पूजन)
14 अप्रैल 2019: नवरात्रि का नौवां दिन – महागौरी का पूजन (कन्या पूजन, नवमी हवन और नवरात्रि पारण