किशोरी अमोनकर हिंदुस्तानी शास्त्रीय परंपरा की प्रमुख गायिकाओं में से एक और जयपुर घराने की अग्रणी गायिका थीं। हिंदुस्तानी संगीत में गायिकाएँ तो एक से एक हुई लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो ख्याति किशोरी अमोनकर को मिली, वह किसी और को नसीब नहीं हुई। कोकिलकंठी किशोरी अमोनकर की सुरीली आवाज़ से देश विदेश के लाखों संगीत रसिक मंत्रमुग्ध हैं। ख़्याल, मीरा के भजन, मांड, राग भैरवी की बंदिश ‘बाबुल मोरा नैहर छूटल जाए’ पर उनका गायन तो जैसे संगीत रसिकों के दिल में नक्श सा हो गया है। इस समय किशोरी की गायकी के चहेते सारे देश में बड़ी संख्या में हैं। गायन के अलावा वे एक श्रेष्ठ गुरु भी हैं। उनके शिष्यों में मानिक भिड़े, अश्विनी देशपांडे भिड़े, आरती अंकलेकर जैसी जानी मानी गायिकाएं भी हैं
परिचय और संगीत शिक्षा
प्रसिद्ध गायिका मोघूबाई कुर्दीकर (जिन्होंने जयपुर घराने के वरिष्ठ गायन सम्राट उस्ताद अल्लादिया ख़ाँ साहब से शिक्षा प्राप्त की) की बेटी किशोरी अमोनकर संगीत से ओतप्रोत
वातावरण में पली-बढ़ीं।
सुप्रसिद्ध गायिका मोगूबाई कुर्डीकर की पुत्री और गंडा-बंध शिष्या किशोरी अमोनकर ने एक ओर अपनी माँ से विरासत में और तालीम से पायी घराने की विशुद्ध शास्त्रीय परम्परा को अक्षुण्ण रखा है, दूसरी ओर अपनी मौलिका सृजनशीलता का परिचय देकर घराने की गायिकी को और भी संपुष्ट किया है। माँ मोगूबाई कुर्डीकर, उनकी गुरु बहन केसरीबाई केरकर तथा उनके दिग्गज उस्ताद उल्लादिया खाँ की तालीम को आगे बढ़ाते किशोरी ने आगरा घराने के उस्ताद अनवर हुसैन खाँ से लगभग तीन महीने तक ‘बहादुरी तोड़ी’ की बंदिश सीखी। प. बालकृष्ण बुआ, पर्वतकार, मोहन रावजी पालेकर, शरतचंद्र आरोलकर से भी प्रारम्भिक मार्गदर्शन प्राप्त किया। फिर अंजनीबाई मालफेकर जैसी प्रवीण गायिका से मींड के सौंदर्य-सम्मोहन का गुर सीखा। उनकी ममतामयी माँ गुरु के रूप में अनुशासनपालन वा कड़े रियाज़ के मामले में उतनी ही कठोर रहीं, जितनी कि उनके समय में उनके अपने गुरु कठोर थे।
गायन प्रतिभा
किशोरी अमोनकर ने न केवल जयपुर घराने की गायकी की बारीकियों और तकनीकों पर अधिकार प्राप्त किया, बल्कि कालांतर में अपने कौशल और कल्पना से एक नवीन शैली भी विकसित की। इस प्रकार उनकी शैली में अन्य घरानों की बारीकियां भी झलकती हैं। अमोनकर की प्रस्तुतियां ऊर्जा और लावण्य से अनुप्राणित होती हैं। उन्होंने प्राचीन संगीत ग्रंथों पर विस्तृत शोध किया है और उन्हें संगीत की गहरी समझ है। उनका संगीत भंडार विशाल है और वह न केवल पारंपरिक रागों, जैसे जौनपुरी, पटट् बिहाग, अहीर और भैरव प्रस्तुत करती हैं, बल्कि ठुमरी, भजन और खयाल भी गाती हैं।
शब्द और धुन
पद्म विभूषण से सम्मानित किशोरी ने योगराज सिद्धनाथ की सारेगामा द्वारा निकाली गई एलबम ‘ऋषि गायत्री’ के लोकार्पण के अवसर पर कहा, “मैं शब्दों और धुनों के साथ प्रयोग करना चाहती थी और देखना चाहती थी कि वे मेरे स्वरों के साथ कैसे लगते हैं। बाद में मैंने यह सिलसिला तोड़ दिया क्योंकि मैं स्वरों की दुनिया में ज़्यादा काम करना चाहती थी। मैं अपनी गायकी को स्वरों की एक भाषा कहती हूं।” उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि मैं फ़िल्मों में दोबारा गाऊंगी। मेरे लिए स्वरों की भाषा बहुत कुछ कहती हैं। यह आपको अद्भुत शांति में ले जा सकती है और आपको जीवन का बहुत सा ज्ञान दे सकती है। इसमें शब्दों और धुनों को जोड़ने से स्वरों की शक्ति कम हो जाती है।” वह कहती हैं, “संगीत का मतलब स्वरों की अभिव्यक्ति है। इसलिए यदि सही भारतीय ढंग से इसे अभिव्यक्त किया जाए तो यह आपको असीम शांति देता है।
किशोरी अमोनकर पर वृत्तचित्र
देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका एवं पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर पर ‘भिन्न षड़ज’ नामक वृत्तचित्र एक समय के लोकप्रिय फ़िल्म कलाकार अमोल पालेकर और उनकी जीवन संगीनी संध्या गोखले ने बनायी है। यह वृत्तचित्र 72 मिनट का है। किशोरी जी के जीवन में एक ऐसा समय आया, जब उनकी आवाज चली गई। आयुर्वेदिक उपचार के बाद जब इनकी आवाज़ वापस आई, तो इनकी गायकी एक सर्वथा नवीन दृष्टि लेकर, एक नई चमक लेकर वापस आई। अमोल पालेकर बताते हैं कि ‘हमने छोटी-मोटी बातों पर ध्यान देने की बजाए पूरी डॉक्युमेंट्री को उनके संगीत, उनके व्यक्तित्व और उनकी सोच-प्रक्रिया तक केंद्रित रखा है।’ गोवा, मुंबई और पुणे में डॉक्युमेंट्री की शूटिंग हुई। इसमें पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. शिवकुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली जैसे संगीत क्षेत्र के दिग्गजों ने अमोनकर और उनके संगीत पक्ष के बारे में टिप्पणी करते हुए दिखाया गया है।[4]
एलबम
ख्याल गायकी, ठुमरी और भजन गाने में विशेषज्ञता प्राप्त किशोरी की अब तक ‘प्रभात’, ‘समर्पण’ और ‘बॉर्न टू सिंग’ सहित कई एलबम जारी हो चुकी हैं।
सम्मान और पुरस्कार
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका श्रीमती किशोरी अमोनकर को शास्त्रीय संगीत की परम्परा को लोकप्रिय और समृद्ध बनाने में उनके योगदान के लिए ‘आईटीसी संगीत पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया । पुरस्कार के तहत उन्हें प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। ‘गान सरस्वती’ की उपाधि एवं पद्म विभूषण से सम्मानित श्रीमती अमोनकर ने इस अवसर पर अपनी मिठास भरी भावपूर्ण शैली में राग तिलक कामोद में निबद्ध रचना “सकल दु:ख हरन सदानन्द घट घट प्रगट ” और एक अन्य रचना “मेरो पिया रसिया सुन री सखी तेरो दोष कहां ” प्रस्तुत की
निधन
मशहूर हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर का सोमवार 3 अप्रैल, 2017 को मुंबई में निधन हो गया। वह 84 वर्ष की थीं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि रात को 12 बजे के करीब मध्य मुंबई में स्थित आवास पर अमोनकर का निधन हुआ।