हिमाचल हाईकोर्ट ने सड़क परिवहन और उच्च मार्ग मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि यदि नई नीति के अनुसार ही हिमाचल में नेशनल हाईवे बनाने हैं तो पुरानी व्यवस्था के तहत डीपीआर बनाने में करोड़ों की राशि क्यों खर्च दी। हाईकोर्ट ने केंद्र को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल लोक निर्माण विभाग को 22 मई तक उचित फंड मुहैया करवाए, जिससे नेशनल हाईवे की मरम्मत कर उन्हें गाड़ी चलाने लायक बनाया जा सके।
खंडपीठ ने केंद्र को आदेश दिए हैं कि वह उदाहरण के तौर पर मैसर्ज लायन इंजीनियरिंग कंसलटेंट्स की ओर से तीन करोड़ में तैयार डीपीआर को अदालत के समक्ष पेश करे। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में 69 एनएच की डीपीआर पर 24 करोड़ रुपये खर्च दिए हैं और 163 करोड़ खर्च करने बाकी हैं। हाईकोर्ट को यह भी बताया कि शीघ्र नई पॉलिसी के तहत एनएच बनाए जाएंगे।
केंद्र ने कोर्ट को यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को 25 करोड़ रुपये जारी किए हैं। कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिए कि वह शपथपत्र देकर बताए कि हिमाचल में कितने नेशनल हाईवे बनाए जाने का निर्णय लिया है और इनकी डीपीआर तैयार करने में कितना समय लगेगा। अपने पिछले आदेशों में हाईकोर्ट ने केंद्र को कहा था कि हिमाचल में 69 स्टेट हाईवे जिन्हें नेशनल हाईवे बनाना है और नेशनल हाईवे जिन्हें फोरलेन या चौड़ा करना है, उनकी जानकारी अदालत को सौंपे। मामले की आगामी सुनवाई 18 जून को होगी।