150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा मोदी सरकार के सेना के राजनीतिकरण को लेकर राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र पर विवाद गहरा गया है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति कार्यालय को अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है. हालांकि कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दिन (बृहस्पतिवार) ही पत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा गया था. राष्ट्रपति भवन के एक सूत्र ने कहा, ”हमें अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है”. दूसरी तरफ, पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ एनसी सूरी ने कहा कि उन्होंने कोई चिट्ठी नहीं लिखी है और न ही उनसे कोई सहमति ली गई है. उनके मुताबिक सेना किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़़ी है और न ही सरकार के निर्देश पर काम करती है.
दूसरी तरफ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सूरी की बात को उठाया और कहा कि इस तरह की हरकत निंदनीय है. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि कुछ पूर्व अधिकारियों ने पत्र लिखने की बात स्वीकारी है तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं, पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को पत्र लिखे जाने का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस भी केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पूर्व सैनिकों को सामने आना पड़ा है. 156 पूर्व आर्म्ड फोर्सेज, जिसमें 8 पूर्व सेना, वायु सेना और नेवी के अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सेना के राजनीतिकरण किये जाने की बात लिखी है. मोदी और अमित शाह लगातार ऐसा कर रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने तो सेना को ‘मोदी की सेना’ तक कह दिया. राष्ट्रपति को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए.
तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सेना के राजनीतिकरण के ख़िलाफ़ चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में ये शिकायत की गई है कि सत्ताधारी दल सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेना के ऑपरेशन का श्रेय ले रही है. साथ ही सेना को मोदी जी की सेना के तौर पर बताया जा रहा है. 11 अप्रैल को सार्वजनिक हुई इस चिट्ठी में राष्ट्रपति से राजनीतिक दलों के सेना के राजनीतिक इस्तेमाल रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की गई है.