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चुनाव आयोग के पास पर्याप्त शक्तियां, वह ईश्वर से नहीं बोल सकता कि मुझे शक्ति दे दो….

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इस बार के लोकसभा चुनाव में नेताओं की बदजुबानी चरम पर है। चुनाव आयोग योगी आदित्यनाथ, मायावती जैसे बड़े नेताओं को सजा भी दे चुका है, फिर भी सियासत को शर्मसार करने वाले बयान बेलगाम हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत शुक्रवार को इंदौर में थे। उन्होंने बदजुबानी समेत कई बड़े मुद्दों पर मीडिया से बातचीत की।

इस बार के लोकसभा चुनाव कुछ अलग दिख रहे हैं, क्योंकि राजनीतिक दल तय नहीं कर पा रहे कि वोटर किस दिशा में जा रहा है, इसलिए हर ओर बदजुबानी चल रही है। चुनाव आयोग ने शुरू में दो-तीन मामलों में एक्शन लेने में देरी की है, जिस कारण से सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और इसके बाद एक्शन में तेजी आई। आयोग के पास पर्याप्त शक्तियां हैं। वह शक्तियों को लेकर ईश्वर से नहीं बोल सकता कि हे प्रभु मुझे शक्ति दो, ताकि मैं इन परिस्थितियों का सामना कर सकूं। खुद सुप्रीम कोर्ट ने एमएस गिल केस मामले में स्पष्ट किया हुआ है कि जिस विषय पर संसद ने कानून नहीं बनाया, उस पर आयोग जो फैसला लेगा, वही कानून होगा। दरअसल आयोग विवादित बयानों पर कार्रवाई में देरी नहीं करता, तो उसकी छवि पर प्रश्नचिह्न नहीं लगता। जैसा कि बाद में मायावती, योगी आदि पर की। अब प्रशासन के पास भी वह खौफ नहीं रहा। हम जब कलेक्टर से छह घंटे में रिपोर्ट मंगाते थे तो चार घंटे में आती थी, अब वह नहीं दिखता।

  • ईवीएम पर संदेह नहीं है, लेकिन वह जिन कर्मचारियों के हाथों में रहती है, उनकी विश्वसनीयता पर अवश्य संदेह है।  ये लोग ईवीएम का कैसा इस्तेमाल करें, यह कहा नहीं जा सकता। ऐसा मणिपुर में हो चुका है। उस समय एक सज्जन बूथ पर आए और अंदर चले गए, उन्होंने मतदाता को अंदर बुलाया, उसकी अंगुली पर अमिट स्याही लगवाई और उसका वोट खुद डाल दिया। इसके बाद वह हर मतदाता के साथ यही करने लगे। आयोग ने वहां के अधिकारियों को फोन किया और तुरंत गड़बड़ी रोकने के आदेश दिए। यदि आयोग निगरानी नहीं रखता तो ईवीएम पर ही आरोप लगता और सवाल आयोग पर उठते।
  • रावत ने ओडिशा में पीएम मोदी के काफिले की जांच में हटाए गए आईएएस व संबलपुर के ऑब्जर्वर को लेकर कहा कि ऑब्जर्वर की गलती थी। उसका काम यह देखना है कि मशीनरी का सही उपयोग हो। वह एसएसटी, एफएसटी, आयकर को सूचित करे या फिर आयोग को रिपोर्ट दे।
  • चुनाव में धन का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। तेलंगाना, आंध्र, तमिलनाडु आदि दक्षिण के राज्यों में चुनाव में काफी धनबल उपयोग होता है जैसे एक बार तमिलनाडु में तीन ट्रक में कैश 570 करोड़ रुपए मिले थे। मप्र में स्थिति थोड़ी अलग है।

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