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बैराज बनाने के बाद भी बढ़ते प्रदूषण बारिश की कमी जल स्रोतों के सूखने से बेतवा बनी मैदान…

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जल संसाधन विभाग ने विदिशा में 5 साल पहले रंगई घाट के पास 2.5 मीटर ऊंचा और 150 मीटर चौड़ा बैराज बनाया था। इसके बाद भी बेतवा में रंगई घाट से लेकर रायसेन जिले की सीमा तक बेतवा नदी में 50 किमी तक एक बूंद पानी नहीं बचा है। नपा ने 5 साल पहले रंगई घाट तक गहरीकरण भी कराया था। इसके बाद भी पानी नहीं रुका।

अब रंगई, भोरघाट, नए बायपास पुल से लेकर रायसेन जिले की सीमा तक नदी का अंतस्तल किसी खेल मैदान की तरह दिखाई देने लगा है। वैसे तो नदी की धारा अक्टूबर-नवंबर महीने में ही टूट गई थी लेकिन हलाली डेम का बैक वाटर आने के कारण कुछ पानी बेतवा में आ गया था। अब वह पानी भी सूख चुका है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण, बारिश की कमी, जल स्रोतों के सूखने और सहायक नदियों के सूखने से बेतवा में साल दर साल पानी की कमी होती गई। अब ऐसे हालात हैं कि बेतवा बरसाती नदी बन कर रह गई है। बेतवा उत्थान समिति के उपाध्यक्ष और समाजसेवी अतुल शाह बताते हैं कि करीब 20-22 साल पहले हमारी बेतवा विदिशा में सदानीरा थी। इसका पानी अविरल बहता रहता था। इसके बाद बारिश के बाद धार टूट जाती है।

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के मंडीदीप स्थित झिरी कुमारा गांव से निकलकर बेतवा विदिशा, बासौदा, कुरवाई, अशोक नगर, टीकमगढ़, ललितपुर, ओरछा, झांसी, औरैया, जालौन जिला होते हुए यूपी के हमीरपुर के पास यमुना नदी में मिल जाती है। 590 किलोमीटर लंबा इसका प्रवाह क्षेत्र है। अप स्ट्रीम में सूखने के कारण लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पाता है।

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