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जिनपर जिम्मा था प्रदेश जिताने का अपनी ही सीट नहीं बचा पाए वे दिग्गज कांग्रेसी…

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लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के लिए करारा झटका साबित हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के ऐसे दिग्गज भी चुनाव हार गए जो दशकों से अपनी पार्टी के सबसे मजबूत नेता माने जाते थे. उनके पास अपनी सीट जीतने की ही नहीं बल्कि सूबे की सीटों पर प्रभाव डालने की जिम्मेदारी थी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने गढ़ अमेठी में हार का सामना करना पड़ा तो कांग्रेस के 9 पूर्व मुख्यमंत्री भी मोदी लहर में जीत को तरस गए. लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने सियासी सफर में पहली बार हार का मुंह देखना पड़ा.

कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद चौथी बार अमेठी सीट हार गए. बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दूसरी बार में राहुल गांधी को हराने में कामयाब रहीं. इस लोकसभा सीट को कांग्रेस और गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है लेकिन इस बार स्मृति ने 55120 वोटों के अंतर से कांग्रेस अध्यक्ष को चुनाव हरा दिया. राहुल अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़े थे, जहां उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई है.

2019 की मोदी लहर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने सियासी करियर की पहली हार मिली है. खड़गे कर्नाटक की गुलबर्गा सीट से उम्मीदवार थे जहां बीजेपी के उमेश जाधव ने उन्हें 95452 वोटों से हरा दिया है. खड़गे ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच भी गुलबर्गा सीट से जीत हासिल की थी और कांग्रेस संसदीय दल के नेता बने. यूपीए सरकार में रेल मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री का कार्यभार संभाल चुके खड़गे गुलबर्गा से दो बार सांसद रह चुके हैं

मध्य प्रदेश की गुना सीट पर 2 दशक बाद बीजेपी का कब्जा हुआ है. यहां से सांसद और राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी के केपी यादव ने 125549 वोटों से हरा दिया है. सिंधिया पिछली बार की मोदी लहर में भी यह सीट बचाने में सफल रहे थे लेकिन इस बार उन्हें अपनी ही शार्गिद से हार मिली है. वह इस सीट पर 2002 से सांसद थे और उनके कंधों पर न सिर्फ गुना बल्कि मध्य प्रदेश की अन्य सीटों पर भी कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी थी. राहुल गांधी ने तो उन्हें पश्चिमी यूपी का प्रभारी भी बनाया था ताकि यूपी में पार्टी को मजबूती दिलाई जा सके.

मोदी की प्रचंड लहर में कांग्रेस के 9 पूर्व मुख्यमंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा सके. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह, शीला दीक्षित, हरीश रावत, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे, मुकुल संगमा, नबाम तुकी और वीरप्पा मोइली की भी हार हुई है. ये सभी नेता पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन इस चुनाव में इनका सियासी दमखम फीका साबित हुआ है. कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के अलावा 3 अन्य दलों के मुख्यमंत्री भी इस चुनाव में हार गए हैं. इनमें जेडीएस के एचडी देवगौड़ा, झामुमो के शिबू सोरेन, झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाल रहे राज बब्बर को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. यूपी में 2 सीटें से घटकर एक पर पहुंची कांग्रेस के लिए राज बब्बर भी कुछ कर पाने में नाकाम साबित हुए हैं. फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बब्बर को राजकुमार चहर ने 495065 वोटों के भारी अंतर से मात दी है. यही नहीं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर को भी सिरसा लोकसभा सीट पर करारी शिकस्त मिली है.

इसके अलावा मुंबई कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को मुंबई दक्षिण सीट से शिवसेना के अरविंद सावंत ने हरा दिया. गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी को भी आणंद सीट से हार का मुंह देखना पड़ा है. पंजाब के गुरदासपुर से सांसद और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को भी मोदी लहर के चलते कुछ रोज पहले ही सियासत में आए अभिनेता सनी देओल से शिकस्त झेलनी पड़ी है.

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