Home हिमाचल प्रदेश मोदी लहर से हिमाचल कांग्रेस को दोहरी चोट, भाजपा में जय, जय-राम…

मोदी लहर से हिमाचल कांग्रेस को दोहरी चोट, भाजपा में जय, जय-राम…

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मोदी लहर के बीच आए लोकसभा चुनाव परिणाम से हिमाचल कांग्रेस को दोहरी और गहरी चोट लगी है। एक साल पहले विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद अपनी खोई जमीन वापस लेना तो दूर भाजपा के चारों प्रत्याशियों ने जीत का इतिहास रच गुटबाजी में घिरी कांग्रेस के लिए भविष्य का संकट खड़ा कर दिया है।

 जो 21 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीती थीं, उनके साथ सभी 68 हलकों में भाजपा ने अब बड़ी जीत हासिल की है। दूसरी ओर भले ही मोदी की सुनामी में यह परिणाम आया हो, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कद ऊंचा हो गया है।प्रधानमंत्री मोदी ने सोलन रैली में लोगों के बीच मंच से नारा बोला कि फिर एक बार…लोगों का जवाब आया मोदी सरकार। इस पर मोदी ने सुधार करते हुए कहा-यह बोलो फिर एक बार .. हिमाचल में चार की चार। यहां के वोटरों ने मोदी की इच्छा के अनुसार न केवल चारों सीटें दोबारा दीं, बल्कि मोदी के पक्ष में कई रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। दरअसल, मोदी का हिमाचल से विशेष नाता रहा है।

संघ प्रचारक और भाजपा के अलग-अलग पदों पर रहने के दौरान उन्होंने यहां पर काफी काम किया। वह यहां के खानपान, रहन-सहन और भौगोलिक स्थिति को अच्छी तरह जानते हैं। इस बार भी प्रदेश में दो चुनावी रैलियों में स्थानीय बातों से उन्होंने लोगों को सीधे टच किया। भारतीय सेना में हिमाचलियों की बड़ी संख्या होने को भी उन्होंने राष्ट्रीयता के मुद्दे से जोड़कर लोगों के दिल छूने का काम किया।हिमाचल के वोटरों के पुराने ट्रेंड को देखते हुए कांग्रेस का मानना था कि चार में दो सीटों पर वह जीतेंगे या कड़ा मुकाबला होगा, लेकिन कांग्रेस को इस परिणाम ने भारी परेशानी में डाल दिया। दूसरी ओर कांग्रेस का संकट यह भी रहा कि संगठन में बदलाव के बीच गुटबाजी खत्म होती नहीं दिखी।

चुनावी रैलियों के बीच मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के बीच गुटबाजी कई बार सामने आई तो पार्टी मुख्यालय में मारपीट ने साबित किया कि कांग्रेस को इससे पार पाना होगा। अब इस करारी हार के बाद हताश कार्यकर्ताओं व गुटबाजी से घिरी कांग्रेस के सामने आगामी समय में बड़ी चुनौती होगी।दरअसल, विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव का इतिहास, अधिकांश चुनावों में बारी-बारी से कांग्रेस व भाजपा का पलड़ा भारी रखने की अपनी ही परंपरा को हिमाचलियों ने भाजपा के पक्ष में कई रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए पलट दिया है। लोकसभा चुनाव वर्ष 1999 में भाजपा को तीन और कांग्रेस से अलग होकर सुखराम की हिमाचल विकास पार्टी को एक सीट दी थी, जबकि 2004 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन व भाजपा को एक सीट मिली थी।

वर्ष 2009 के चुनाव में बाजी फिर पूरी पलटी हुई थी और भाजपा को तीन व कांग्रेस को एक सीट मिली। वर्ष 2014 में मोदी के तिलिस्म के चलते चारों सीटें हिमाचल के लोगों ने भाजपा को दी तो माना जा रहा था कि इस चुनाव में यहां की जनता अपने चित-परिचित मूड के अनुसार ही सीटें देगी, लेकिन परिणाम आया तो मोदी मैजिक के चलते इस परंपरा को हिमाचलियों ने तोड़ दिया।दूसरी ओर विपक्ष के अलावा भाजपा में उस धड़े को बड़ा झटका लगा है, जो कि मुख्यमंत्री जयराम को एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर बोलते रहे हैं। भाजपा के एक धड़े को ऐसा लग रहा था कि अगर चार में से एक भी सीट कम होती है तो एक साल पहले शपथ लेने वाले जयराम को पार्टी के कटघरे में खड़ा होने पर वह घेराबंदी करेंगे। चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम की सबसे ज्यादा रैलियां करने पर प्रशंसा की थी। माना जा रहा है कि विपक्ष ही नहीं, बल्कि पार्टी में भी कुछ नेताओं के बीच इस शानदार जीत पर जयराम का कद बढ़ना चिंता का विषय बनेगा।

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