भारतीय किसान यूनियन का आंदोलन शुरू हो गया है। भोपाल के मिसरोद इलाके में किसानों ने सड़क पर दूध और सब्जियां सड़क पर फेंक आंदोलन की शुरुआत की। यूनियन के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि पूरे प्रदेश के किसान सड़कों पर उतर आए हैं। उनका आंदोलन तीन जारी रहेगा। पूरे मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भी हड़ताल शुरू हो गई है। हड़ताल को देखते हुए पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर है।
मंगलवार शाम किसान यूनियन की कृषि मंत्री सचिन यादव के साथ हुई बैठक बेनतीजा रही थी। यदि यह हड़ताल अपने निर्धारित तीन दिन तक चली तो शहरों में दूध, सब्जी आदि की किल्लत हो सकती है। भारतीय किसान यूनियन कर्ज माफी, समर्थन मूल्य, अपनी उपज का मूल्य तय करने के अधिकार आदि मांगों को लेकर हड़ताल पर जा रहा है।
सरकार किसान संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। आमजन की जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए कलेक्टरों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया। यूनियन के पदाधिकारी मंगलवार को कृषि मंत्री सचिन यादव से मिले और उन्हें अपनी मांगों के बारे में बताया था।
यूनियन के प्रदेश महामंत्री अनिल यादव ने बताया कि चर्चा के दौरान कृषि मंत्री का रूख सकारात्मक था, लेकिन कर्जमाफी का मामला उनके अधीन नहीं। इसलिए उनके आश्वासन पर भरोसा करना मुश्किल। मुख्यमंत्री हमसे मिलना नहीं चाहते, यदि वे मिलते तो कोई हल निकलता। कृषि मंत्री से हुई बातचीत से सभी जिला अध्यक्षों को अवगत करा दिया है।
किसानों का दूसरा गुट राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले 1 से 5 जून तक आंदोलन की तैयारी कर रहा है। महासंघ के शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने बताया कि बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ चर्चा होनी है। इसके बाद ही इस आंदोलन के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए। कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए। मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे। सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो। 2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए। फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए। मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो।