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साध्वी प्रज्ञा के नोटिस पर अब तक नहीं आई रिपोर्ट कांग्रेस बोली- सब एक दिखावा…

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चुनावी शोर खत्म हो गया, साध्वी प्रज्ञा सिंह भोपाल से चुनाव भी जीत गईं, लेकिन नाथूराम गोडसे को देशभक्त वाला साध्वी का बयान बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ रहा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साध्वी को मिले नोटिस का जवाब देने की दस दिन की मियाद खत्म हो गई है.अब प्रदेश बीजेपी इस मामले में गोलमोल जवाब दे रही है तो कांग्रेस कह रही है कि ये सब कुछ सिर्फ एक दिखावा था.

अमित शाह ने नाथूराम गोडसे मामले में नाराजगी जताते हुए 17 मई को साध्वी प्रज्ञा को नोटिस भेज दस दिन में जवाब मांगा था, लेकिन 27 तारीख को दस दिन पूरे होने के बाद भी अब तक इसकी अनुशासन समिति की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी बीजेपी में किसी के पास नहीं है.

इस मामले में अमित शाह के फरमान के बाद साध्वी प्रज्ञा के जवाब की मियाद खत्म हो गई है, लेकिन प्रदेश बीजेपी घुमा फिराकर बात टालने की कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि सारी बातें पार्टी के अनुशासन समिति के सामने है, अनुशासन समिति जब भी फैसला देगी हम उसको सार्वजनिक करेंगे. उन्हें 10 दिनों में जवाब देना था अब उन्होंने क्या जवाब दिया है वो तो अनुशासन समिति की रिपोर्ट आने पर ही साफ हो पाएगा. हालांकि 10 दिनों की समयसीमा बीत जाने के बाद भी अनुशासन समिति की रिपोर्ट ना आना साफ इशारा कर रहा है कि बीजेपी ने इस मामले को प्रचंड जीत के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

दरअसल 16 मई को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आगर मालवा में नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहकर ना सिर्फ विवाद खड़ा किया बल्कि बीजेपी को भी मुश्किल में डाल दिया था.  लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण का मतदान बचा था ऐसे में बयान से नाराज पीएम मोदी ने ये तक कह दिया था कि वो साध्वी प्रज्ञा को कभी मन से माफ नहीं कर पाएंगे जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयान पर माफी मांग ली थी, हालांकि माफी काम ना आई और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मामला अनुशासन समिति को भेज दिया. लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी अनुशासन समिति की रिपोर्ट नहीं आई तो कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं.

कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि बीजेपी सिर्फ दिखावा कर रही थी. अमित शाह ने जनता के बीच कोई गलत संदेश ना जाए इसलिए सिर्फ औपचारिकता की और अब चुनाव खत्म हो गए तो साध्वी के बयान पर पर्दा डाल दिया है. बहरहाल जिस तरह से बीजेपी में इस पूरे मामले में चुप्पी का आलम दिख रहा है सवाल उठना लाजमी है कि जीत की सियासी चकाचौंध में क्या सारी भूल-चूक अब माफ हो गई है?

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