राष्ट्रीय राजधानी में कई सरकारी और निजी अस्पतालों में सोमवार को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं जहां कई डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे अपने साथियों के समर्थन में एक दिन के लिए काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है. हालांकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा बुलाई गई हड़ताल में शामिल होने से इनकार कर दिया था, लेकिन रविवार की देर रात एम्स ट्रामा के डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार हुआ. इस दुर्व्यवहार की वजह से एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार को दोपहर 12 बजे से लेकर कल (मंगलवार को) सुबह 6 बजे तक हड़ताल पर रहेंगे. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांग है कि डॉक्टरों के साथ हो रही मारपीट और बनी ऐसी परिस्थिति में सेंट्रल एक्ट फ़ॉर वायलेंस अगेंस्ट डॉक्टर्स लाया जाये. आईएमए ने 17 जून को देशभर में हड़ताल की घोषणा की है. एसोसिएशन के सदस्य यहां उसके मुख्यालय पर धरना भी देंगे.
केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज अस्पताल, आरएमएल अस्पताल और दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल, डॉ बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल तथा दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर सोमवार को काम नहीं करेंगे. आईएमए ने कहा कि सभी बाह्यरोगी विभाग (ओपीडी), नियमित ऑपरेशन थियेटर सेवाएं और वार्ड में डॉक्टरों के दौरे सोमवार को सुबह छह बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक निलंबित रहेंगे. उसने कहा कि आपातकालीन सेवाएं चलती रहेंगी.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) और फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरदा) ने भी हड़ताल को समर्थन जताया है. एम्स ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि वह आईएमए द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग नहीं लेगा, लेकिन सोमवार सुबह आठ और नौ बजे विरोध मार्च निकाला जाएगा. बयान में कहा गया है, “मरीजों की देखभाल को ध्यान में रखते हुए एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल में भाग नहीं लेने का फैसला किया है, लेकिन सोमवार सुबह आठ और नौ बजे विरोध मार्च निकाला जाएगा.”
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर हैं. कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक रोगी की मौत के बाद उसके रिश्तेदारों ने दो डॉक्टरों पर हमला कर दिया था और वे गंभीर रूप से घायल हो गये थे. कोलकाता के डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए देशभर में डॉक्टरों ने काम नहीं करने का फैसला किया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को राज्यों से डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों को किसी भी तरह की हिंसा से बचाने के लिए विशेष विधेयक पारित करने पर विचार करने को कहा. आईएमए ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को हिंसा से बचाने के लिए व्यापक केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है.
पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने रविवार को अपने रुख में नरमी दिखाते हुए बैठक का स्थान तय करने का निर्णय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर छोड़ दिया है. हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बैठक मीडिया की मौजूदगी में हो तथा इसकी रिकॉर्डिंग की जाए. समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय के बगल में स्थित एक सभागार में सोमवार को बैठक करने पर सहमति जताई है. राज्य सरकार के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, “मुख्यमंत्री सोमवार को बैठक करने पर राजी हुई हैं. हमने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज अस्पताल से दो प्रतिनिधियों को बुलाया है.” हालांकि उन्होंने बताया कि बनर्जी बैठक स्थल के भीतर मीडिया की मौजूदगी के प्रस्ताव पर सहज नहीं हैं.
सूत्र ने कहा, “बैठक या तो सभागार में हो सकती है या मुख्यमंत्री के कार्यालय में. हमने यह संदेश जूनियर डॉक्टरों तक पहुंचा दिया है.” बनर्जी ने प्रदर्शनकारियों को बंद कमरे में बैठक के लिये आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने उनकी इस पेशकश को ठुकरा दिया था. अपने संचालन मंडल की ढाई घंटे चली बैठक के बाद जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, ‘‘हम लोग इस गतिरोध को दूर करने के इच्छुक हैं. हम मुख्यमंत्री के साथ उनकी पसंद की जगह पर बैठक के लिये तैयार हैं, लेकिन बैठक बंद कमरे में नहीं बल्कि मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में खुले में होनी चाहिए.”
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों से प्रतिनिधि बैठक में शामिल हो सकें, इसके लिये बैठक स्थल पर पर्याप्त जगह होनी चाहिए. इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने जोर दिया था कि मुख्यमंत्री एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आयें. उन्होंने कहा, ‘‘आम जनता के हित के लिये हम लोग भी जल्द से जल्द ड्यूटी पर लौटना चाहते हैं बशर्ते पर्याप्त एवं तर्कपूर्ण चर्चा के माध्यम से हमारी सभी मांगों को पूरा किया जाये.” प्रवक्ता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री समस्याओं को सुलझाने के विचार के साथ आएंगी.”