कोलकाता में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इसके समर्थन में सोमवार को सुबह से ही भोपाल एम्स, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज, हमीदिया, सुल्तानिया समेत इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे ओपीडी समेत इमर्जेंसी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
सोमवार को प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में डॉक्टरों ने सुबह 6 बजे से ओपीडी का बहिष्कार कर दिया है। वह केवल इमरजेंसी मरीजों को देख रहे हैं।भोपाल में डाॅक्टर सड़कों पर उतर गए हैं और उन्होंने डाक्टरों को सुरक्षा देने की मांग की है। डॉक्टरों का कहना है कि हम कुछ नहीं चाहते, काम करते हैं और करते रहेंगे, लेकिन हमें सुरक्षा चाहिए।
इधर, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने इस कहा, “अस्पताल जिंदगी और डॉक्टर आशा और विश्वास के प्रतीक होते है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बंगाल की घटना का सहारा लेकर समूचे देश की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है। मध्यप्रदेश में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कानून होने के बाद भी हड़ताल केंद्र की राजनीति से प्रेरित लगती है।
भोपाल में एम्स में फैकल्टी मेंबर, रेसीडेंट डॉक्टर व जूनियर डॉक्टर सोमवार सुबह 6 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक ओपीडी में मरीज नहीं देख रहे हैं। सभी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। डॉक्टर सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही दे रहे हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में भी ओपीडी का बहिष्कार कर दिया है।
डॉक्टरों की हड़ताल का असर जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी तक पहुंच गया है। यहां पर भी ओपीडी का बहिष्कार किया गया है। सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन ही चल रही हैं। जिला अस्पतालों, सीएचसी व पीएचसी में रोजाना की तरह इलाज मिलेगा। इन अस्पतालों की भीड़ बढ़ने की संभावना के चलते स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने सभी सीएमएचओ और सिविल सर्जन को व्ववस्थाएं दुरुस्त रखने के लिए कहा है।