शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है.रवि प्रदोष का व्रत करके जीवन के समस्त रोग दोष शोक कलह क्लेश हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं. इस व्रत को करने से हृदय रोग, आखों के रोग, सरकारी विभाग की अड़चने, पिता का स्वास्थ्य, दाम्पत्य जीवन के कलह आदि को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है.
इस बार यह व्रत 30 जून को पड़ रहा है. इस व्रत को करके व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है. यह व्रत रोग और जीवन के सारे दुख, संकट दूर करके व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है. बता दें, हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है.
पूजा का शुभ मुहुर्त-
रवि प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 बजे से शाम 7.00 बजे के बीच की जाना चाहिए.
पूजन सामग्री-
एक जल से भरा हुआ कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।
कैसे करें व्रत-
1 इस दिन प्रदोष व्रतार्थी को नमकरहित भोजन करना चाहिए.
2 प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है.
3 जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए.
4 इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं तथा मनुष्य निरोगी हो जाता है. यह व्रत करने वाले समस्त पापों से मुक्त हो जाते है.
रवि प्रदोष के व्रत में बरतें ये सावधानियां और नियम-
1 घर में और घर के मंदिर में साफ सफाई का ध्यान रखें.
2 साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और सूर्य की पूजा करें.
3 सारे व्रत विधान में मन में किसी तरीके का गलत विचार ना आने दें.
4 काले नीले वस्त्र बिल्कुल न पहनें.
5 सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव को समर्पण कर दें.