लोकसभा चुनाव 2019 से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था. अब इस फैसले पर मध्य प्रदेश सरकार ने अमल कर लिया है. कमलनाथ सरकार ने एमपी में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण वाले फैसले को लागू कर दिया है.
लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस ने आखिरकार राज्य में मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण वाले फैसले को लागू कर दिया. कमलनाथ सरकार के इस फैसले से अब आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में दस फीसदी कोटा मिलेगा. प्रशासन के जरिए इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
इस साल से शुरू हो रहे शिक्षा सत्र से प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए यह आरक्षण प्रभावी होगा. जिन शिक्षण संस्थाओं में इस साल की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, वहां आरक्षण अगले शिक्षा सत्र से लागू होगा. आरक्षण का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन लोगों को मिलेगा, जिनके परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है. इस सीमा में वेतन, कृषि, व्यवसाय आदि सभी स्रोतों की आय शामिल होगी. शासकीय नौकरियों के लिए भी यह आदेश जारी तारीख से सीधी भर्ती की रिक्तियों पर प्रभावशील होगा.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन व्यक्तियों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा, जिनके पास 5 एकड़ या उससे अधिक भूमि हो. भूमि की सीमा में खसरे में 3 साल से अंकित लगातार ऊसर, बंजर, पथरीली, बीहड़ भूमि शामिल नहीं होगी. वे व्यक्ति भी आरक्षण से लाभांवित नहीं हो सकेंगे जिनके पास 1200 वर्गफीट से अधिक आकार का आवासीय मकान/फ्लैट नगर निगम सीमा में है. इसी प्रकार नगर पालिका क्षेत्र में 1500 वर्गफीट और नगर परिषद क्षेत्र में 1800 वर्गफीट से ज्यादा आकार के आवासीय मकान/फ्लैट का स्वामित्व वाले व्यक्ति भी आरक्षण का लाभ लेने के पात्र नहीं होंगे.