जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा में लाखों की लागत से तैयार किए गए आईस स्केटिंग रिंक में बर्फ ही नहीं जम रही है। बर्फ न जमने के कारण इस रिंक का कोई इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है। तीन साल पहले यह बनकर तैयार हो गया था, लेकिन अभी तक इसमें बर्फ नहीं जम सकी है।
रिंक बनने के तीन वर्ष बाद भी इसमें बर्फ नहीं जमी। यह समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि शिमला आईस स्केटिंग रिंक समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां बर्फ जमती है। रिंक बनाने के लिए सोलिंग, काली मिट्टी और फिर मोटी बजरी डाली जाती है। इसके बाद रेत की परत बिछाई जाती है। फिर इसे रोलर से दबाया जाना था, लेकिन लोनिवि ने काली मिट्टी यानी चिकनी मिट्टी की 3 इंच की परत ही नहीं बिछाई।
इस कारण पानी सीधा जमीन में चला जाता है। हालांकि, एस्टिमेट में काली मिट्टी का प्रावधान था, लेकिन विभाग ने इसका इस्तेमाल ही नहीं किया। खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। खेल विभाग से पूछकर बता पाएंगे।
शिमला आइस स्केटिंग रिंक के सचिव सतीश ने बताया कि आइस स्केटिंग को लेकर उनसे सिर्फ एक बार संपर्क किया गया था। नवंबर में इसका जायजा लिया जा सकता है।
आईस स्केटिंग रिंक बनाते समय इस पर चिकनी मिट्टी की परत नहीं डाली गई। तीन इंच चिकनी मिट्टी की परत डालकर इसे रोलर से दबाया जाना चाहिए। तभी बर्फ जम सकती है।