विराट कोहली की टीम इंडिया ने मंगलवार को बांग्लादेश को 28 रन से हराते हुए वर्ल्डकप 2019 के सेमीफाइनल में स्थान बना लिया है. बांग्लादेश की टीम इस मैच में हारी जरूर लेकिन मैच के आखिरी क्षणों में अपने संघर्षपूर्ण खेल से इसने भारतीय फैंस और प्लेयर्स की माथे पर चिंता की लकीरें ला दी थीं. मैच में पहले बैटिंग करते हुए भारतीय टीम ने निर्धारित 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 314 रन का स्कोर बनाया. जवाब में खेलते हुए शाकिब अल हसन के 66 और निचले क्रम के मोहम्मद सैफुद्दीन के नाबाद 51 रन के बावजूद बांग्लादेश टीम 48 ओवर में 286 रन बनाकर आउट हो गई. टीम इंडिया को सेमीफाइनल से पहले अपना अंतिम मैच 6 जुलाई को श्रीलंका के खिलाफ खेलना है. बांग्लादेश के खिलाफ मैच में मिली संघर्षपूर्ण जीत के बावजूद टीम इंडिया का खेल कल निर्णायक क्षणों में बिखरा हुआ नजर आया. मैच के दौरान सामने आई इन कमजोर कड़ियों को टीम इंडिया को कसने की जरूरत है.
ओपनर शिखर धवन के चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद टीम इंडिया की की बल्लेबाजी काफी कुछ हिटमैन रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली पर निर्भर है. टीम का मिडिल ऑर्डर अब तक उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा नहीं उतर पाया है. सेमीफाइनल मैच नॉकआउट होगा. ऐसे में इन दोनों बल्लेबाजों पर जरूरत से अधिक निर्भर होना विराट ब्रिगेड को भारी पड़ सकता है. रोहित और विराट के जल्द आउट होने की स्थिति में आगे के बल्लेबाज दबाव में दिखे हैं.
टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर अब तक उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है. मिडिल ऑर्डर को यह बात समझनी होगी कि रोहित और विराट से हर मैच में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करना इन दोनों प्लेयर्स के साथ ज्यादती होगी. जरूरत इस बात की है कि मध्यक्रम भी टीम के बड़े स्कोर में अपना भूमिका बढ़-चढ़कर निभाए. एमएस धोनी, ऋषभ पंत, केदार जाधव और दिनेश कार्तिक को भी बल्लेबाजी में अच्छा योगदान (अच्छे स्ट्राइक रेट के साथ) करना होगा. पंत ने हालांकि अब तक खेले दो मैचों में अच्छे स्ट्राइक रेट के साथ बैटिंग की है लेकिन अनुभव की कमी के कारण अहम मौके पर वे विकेट गंवा रहे हैं. धोनी सेट होने में बहुत अधिक समय ले रहे हैं. इस कारण क्रीज पर मौजूद दूसरे बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ रहा है.
बांग्लादेश के खिलाफ कल के मैच में भारतीय टीम ने 200 रन 33.5 ओवर में ही बना लिए थे. ऐसे में हर किसी को उम्मीद थी कि टीम 350+ के स्कोर तक आसानी से पहुंच जाएगी. लेकिन एक ही ओवर में विराट कोहली और हरफनमौला हार्दिक पंड्या के आउट होने के बाद स्कोर उस गति से नहीं बढ़ पाया जैसी कि अपेक्षा थी. आखिरी 16.1 ओवर में भारतीय टीम केवल 114 रन ही बना पाई. समय रहते इस कमजोर को दूर करने की जरूरत है. मिडिल ऑर्डर को आखिरी के ओवरों (Death Overs)में पॉजिटिव अप्रोच के साथ बल्लेबाजी करनी होगी. सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार हो रहे एमएस धोनी को इस मामले में मिडिल ऑर्डर को लीड करना होगा.
टीम इंडिया ने बांग्लादेश के छह विकेट 179 रन पर गिरा दिए थे. ऐसा लगा कि बांग्लादेश के छह विकेट गिराने के बाद ही भारतीय खिलाड़ी विनिंग मोड में आ गए थे. इसके बाद भारतीय टीम की बॉलिंग और फील्डिंग बिखरी हुई नजर आई. हालांकि कैचिंग के मामले में भारतीय प्लेयर्स अब तक शानदार रहे हैं लेकिन ग्राउंड फील्डिंग और रणनीति के अनुसार बॉलिंग के मामले में अभी सुधार की काफी गुंजाइश है. कुछ मिसफील्ड होने और रनआउट को चांस छोड़ गए. इसका फायदा उठाते हुए बांग्लादेश के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने पलटवार कर दिया. सब्बीर और सैफुद्दीन ने अपनी बल्लेबाजी से भारत को लिए चिंता खड़ी कर दी थी. भला हो भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह का, जिन्होंने खतरा बनने के पहले ही बांग्लादेश के निचले क्रम के बल्लेबाजों को आउट कर दिया और भारत की झोली में जीत डाल दी.
बांग्लादेश के खिलाफ मैच में केवल पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरने की रणनीति समझ से परे रही. ऐसा लगा कि टीम के पास कोई ‘प्लान बी’ था ही नहीं. टीम ने चोट के कारण बाहर हुए विजय शंकर की जगह दिनेश कार्तिक और कुलदीप यादव की जगह भुवनेश्वर को प्लेइंग इलेवन में जगह दी थी. ऐसे में किसी एक या दो बॉलर के महंगे साबित होने की स्थिति में भारत के पास कोई विकल्प मौजूद नहीं था. पिछले मैचों में विजय शंकर और केदार जाधव ने पार्टटाइम बॉलर की जिम्मेदारी निभाई थी लेकिन मंगलवार के मैच में भारत के पास पांच गेंदबाजों के अलावा कोई पार्टटाइम बॉलर नहीं था. ऐसी स्थिति में दिनेश कार्तिक के स्थान पर रवींद्र जडेजा को चुनना अच्छा विकल्प हो सकता था. जडेजा बल्लेबाजी और गेंदबाजी के अलावा अपनी फील्डिंग से भी कुछ रन बचा सकते हैं. भारत को आगे के मैचों में मजबूत प्लान ‘बी’ के साथ मैदान पर उतरना होगा.