वाराणसी में भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने बजट को लेकर कहा कि आज 5 ट्रिलियन डॉलर का शब्द चारो तरफ गूंज रहा है। हमारे देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसी चर्चा करने में लगे हैं कि इतना बड़ी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वाराणसी के बेटे को ऐसा सुनकर दुख होता है। क्योंकि भारत के लोग ऐसे लोग हैं जो समस्याओं के पहाड़ में भी हौसलों की मिनार बनाते हैं।
उन्होंनें बताया कि 5 ट्रिलियन का मतलब होता है कि पांच लाख करोड़ डॉलर यानी भारती रुपए में उसका 65 से 70 गुना। लक्ष्य इतना बड़ा है कि अभी जो अर्थ व्यवस्था है उसका करीब दो गुना।
उन्होंने आगे कहा , मुझे पूरा विश्वास है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारे सामूहिक प्रयास 5 वर्ष में 5 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक पड़ाव तक हमें जरूर पहुंचाएंगे।
लेकिन साथियों, कुछ लोग कहते हैं कि इसकी क्या जरूरत है। ये सब क्यों किया जा रहा है? ये वो वर्ग है जिन्हें हम ‘Professional Pessimists’ भी कह सकते हैं। ये पेशेवर निराशावादी सामान्य लोगों से बिलकुल अलग होते है।
मैं आपको बताता हूं, कैसे?
आप किसी सामान्य व्यक्ति के पास समस्या लेकर जाएंगे तो वो आपको समाधान देगा। पर इन पेशेवर निराशावादियों के पास आप समाधान लेकर जाएंगे, तो वो उसे समस्या में बदल देंगे।’
उन्होंने अपने भाषण में यह भी बताया कि 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य क्यों रखा?
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि अंग्रेजी में एक कहावत होती है कि size of the cake matters यानि जितना बड़ा केक होगा उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों को मिलेगा।। इसलिए हमने भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दिया है।
आज जितने भी विकसित देश हैं, उनमें ज्यादातर के इतिहास को देखें, तो एक समय में वहां भी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा नहीं होती थी।
लेकिन इन देशों के इतिहास में, एक दौर ऐसा आया, जब कुछ ही समय में प्रति व्यक्ति आय ने जबरदस्त छलांग लगाई। यही वो समय था, जब वो देश विकासशील से विकसित यानि विकासशील से विकसित नेशन की श्रेणी में आ गए।
जब किसी भी देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो वो खरीद की क्षमता बढ़ाती है।
खरीद की क्षमता बढ़ती है तो डिमांड बढ़ती है, डिमांड बढ़ती है तो सामान का उत्पादन बढ़ता है, सेवा का विस्तार होता है और इसी क्रम में रोजगार के नए अवसर बनते हैं। यही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, उस परिवार की बचत या सेविंग को भी बढ़ाती है
आने वाले 5 वर्ष में 5 ट्रिलियन डॉलर की विकास यात्रा में अहम हिस्सेदारी होगी किसान और खेती की। आज देश खाने-पीने के मामले में आत्मनिर्भर है, तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ देश के किसानों का पसीना है, सतत परिश्रम है।
अब हम किसान को पोषक से आगे निर्यातक यानि Exporter के रूप में देख रहे हैं। अन्न हो, दूध हो, फल-सब्जी, शहद या फिर ऑर्गेनिक उत्पाद, हमारे पास निर्यात की भरपूर क्षमता है। इसलिए बजट में कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए माहौल बनाने पर बल दिया गया है।