26 जून से 10 जुलाई तक चल रहे नशा निषेध पखवाड़े के तहत जिलास्तरीय कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल प्रदेश डिफेंस अकादमी ऊना में किया गया। अध्यक्षता अतिरिक्त उपायुक्त अरिदम चौधरी ने की। कहा कि डब्ल्यूएचओ ने इस वर्ष पखवाड़े का थीम स्वास्थ्य से न्याय-न्याय से स्वास्थ्य रखा है। इसका मतलब है कि न्याय और स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। युवाओं से नशे का त्याग करने की अपील करते हुए कहा कि धीरे-धीरे नशे का जाल हमारे समाज में भी पैर पसार रहा है और इससे सजग रहने की आवश्यकता है। नशा सिर्फ एक व्यक्ति की ही जान नहीं लेता बल्कि पूरा घर तबाह कर देता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमन शर्मा ने कहा कि औषध दुरुपयोग का अर्थ है जब कोई व्यक्ति बिना डॉक्टर की सलाह से किसी दवा का प्रयोग करता है तो इससे न केवल उस इंसान को बल्कि दूसरों को भी नुकसान होता है। यूएन के मुताबिक विश्व में 200 मिलियन लोग विभिन्न तरह के नशे जैसे अफीम, चरस, गांजा, कोकीन के शिकार हैं। अकेले भारत में इनकी संख्या करीब दस लाख है। इस अवसर पर जनशिक्षा एवं सूचना अधिकारी कांता ठाकुर ने बताया कि आज युवा पीढ़ी गलत संगत में आकर नशे का शिकार हो जाती है। एक बार नशे के चक्रव्यूह में फंसकर इस लत से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। नशीली दवाओं का सेवन जानलेवा है लेकिन इसका इलाज भी संभव है।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें आरती प्रथम, नेहा दूसरे तथा अदिति तीसरे स्थान पर रही। विजेताओं को नकद पुरस्कार प्रदान किए गए।शे से दूर रहने की शपथ दिलाई : सभी प्रतिभागियों को नशे से दूर रहने के लिए शपथ भी दिलाई गई। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग से कार्यक्रम अधिकारी सुखदीप सिंह, जिला स्वास्थ्य शिक्षक गोपाल कृष्ण, बीसीसी कोआर्डिनेटर कंचन माला, हिमाचल प्रदेश डिफेंस अकादमी के निदेशक कर्नल डीपी वशिष्ठ, कर्नल कुलदीप जसवाल सहित समस्त स्टाफ तथा प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहे।