दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की राजनीति में एंट्री शिमला के कालिदास बातिश ने करवाई थी। बातिश ने चंडीगढ़ एबीवीपी प्रमुख रहते हुए सुषमा को सदस्यता दिलाई थी। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इसका जिक्र अपने एक ट्वीट में भी कर चुकी थीं। कालिदास बातिश हिमाचल प्रदेश सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वह हिमाचल सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रह चुके हैं। बातिश ने इस खुलासे को करता सुषमा स्वराज का एक ट्वीट अपनी फेसबुक वाल पर शेयर किया है।
सुषमा स्वराज ने 24 जनवरी 2011 को ट्वीट किया था – मैं सुभाष महाजन जम्मू से तत्कालीन विधि विद्यार्थी और शिमला से कालिदास बातिश को स्पष्ट रूप से याद करती हूं, जिन्होंने मेरा एबीवीपी का फार्म भरा था। बातिश ने सुषमा के इस ट्वीट के साथ पोस्ट भी डाली है – मेरी पंजाब विश्वविद्यालय की सहयोगी और बड़ी बहन सुषमा जी के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख हुआ। मेरा पहला सामना एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में हुआ, जहां 1971 में बांग्लादेश को मान्यता देने के विषय पर मैंने बोला था। सुषमा जी बहुत अच्छी वक्ता थीं, बहुत नम्र थीं, कृष्ण भक्त, स्नेहमयी और ममता की मूरत थीं।
वह हमेशा जमीन से जुड़ी रहीं। भारतीय नारी का आदर्श, एक आदर्श पत्नी और मां थीं। सदैव सम्मान देती थीं। मैं लगातार उनके संपर्क में रहा। ईश्वर उनके परिवार को इस सदमे को सहने की शक्ति दे। एक महान व्यक्तित्व के अचानक चले जाने का दुख है। उनकी आत्मा को ईश्वर अपने चरणों में स्थान दें। बातिश ने अमर उजाला को बताया कि उस वक्त वह चंडीगढ़ एबीवीपी इकाई के प्रमुख थे तो उस वक्त सुषमा लॉ कर रही थीं।
उनसे वाद-विवाद प्रतियोगिताओें में परिचय हुआ था। वह प्रखर वक्ता थीं और उस समय अपना नाम सुषमा शर्मा लिखती थीं। बाद में उनसे एबीबीवी को ज्वाइन करवाया तो वह बहुत सक्रिय तो नहीं थीं, एबीवीपी की सिंपेथाइजर थीं। इसके बाद सेक्टर 17 में एबीवीपी का धरना हुआ तो उसमें भी वह शामिल हुई थीं। सुषमा तीन अलग-अलग पोस्ट में उनका जिक्र कर चुकी थीं