सुन्दरकाण्ड रामचरित मानस के सात कांडों में से एक काण्ड है. इसमें हनुमान जी द्वारा सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है. इसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गयी हैं.
सम्पूर्ण मानस में श्री राम के शौर्य और विजय की गाथा लिखी गयी है लेकिन सुन्दरकाण्ड में उनके भक्त हनुमान के बल और विजय का उल्लेख है. इसमें श्री राम के भक्त की विजय और सफलता की गाथा है, अतः यह मानस में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है.
सुन्दरकाण्ड का पाठ किन किन दशाओं में विशेष फलदायी होता है?
1 अगर जीवन में बाधाएं बढती जा रही हों.
2 अगर ग्रहों के कारण, विशेषकर शनि और मंगल के कारण,संघर्ष करते ही चले जा रहे हों.
3 अगर शत्रु और विरोधी समस्याएं पैदा करते जा रहे हों.
4 अगर मुकदमे, दुर्घटना या शल्य चिकित्सा से परेशान हों.
सुन्दरकाण्ड का पाठ कैसे करें ?
1 इसका पाठ मंगलवार और शनिवार को करना विशेष शुभ होता है.
2 बेहतर होगा इसका पाठ संध्याकाळ में करें.
3 हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
4 उन्हें लाल फूल और मिठाई का भोग लगायें.
5 पहले श्री राम का स्मरण करें , फिर हनुमान जी को प्रणाम करके सुन्दरकाण्ड का आरम्भ करें.
6 पाठ के अंत में हनुमान जी की आरती करें.
7 पूजा की समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण करें.
सुन्दरकाण्ड के पाठ में किन किन सावधानियों का पालन करें ?
1 जिन दिनों सुन्दरकाण्ड का पाठ करें, उन दिनों में या तो उपवास रखें या सात्विक आहार ग्रहण करें.
2 पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें.
3 बिना श्री राम की पूजा के इसके पाठ की शुरुआत न करें.
4 जितने भाव से और अर्थ से इसका पाठ करेंगे, उतनी ही ज्यादा ये पूजा फलदायी होगी