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अस्पताल से घर ले जाते समय मृत महिला हुई जीवित, परिजनों ने लगाया डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप..

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इंदाैर. प्रसूति के लिए 29 वर्षीय गर्भवती महिला को नेमावर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। डिस्चार्ज के समय उसे एक इंजेक्शन लगाया जिसका रिएक्शन हो गया। हालत ठीक नहीं होता देखकर अस्पताल प्रबंधन ने शहर के एक बड़े अस्पताल में मरीज को शिफ्ट करवा दिया। मंगलवार दोपहर परिवार को बताया गया कि मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया हैं, अब बचने की कोई संभावना नहीं, उसकी लगभग मौत हो चुकी है। लेकिन जब परिजन प्रसूता को घर ले जाने लगे तो रास्ते में वह बोल पड़ी। उसकी सांस चलती देखकर परिजन खुश हो गए और उसे लेकर पुन: अस्पताल पहुंचे। खबर लिखे जाने तक परिजनों के अनुसार महिला जीवित है, वहीं मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमरी तरफ से महिला को मृत घोषित नहीं किया गया था। परिजन उसे जबर्दस्ती अपने साथ ले गए।

महिला के परिजनों के अनुसार देवास के कन्नोद की रहने वाली 29 वर्षीय शानू खान को प्रसूति के लिए 8 अगस्त को दुधिया नेमावर रोड स्थित एनर्जी अस्पताल में भर्ती किया गया था। 9 अगस्त को शानू ने बेटे को जन्म दिया। 12 अगस्त को प्रसूता को डिस्चार्ज किया जा रहा था उस समय स्टाफ ने एक इंजेक्शन लगाया।

इंजेक्शन लगाने के दस मिनट बाद ही शानू का हाथ सूज गया और नीला पड़ने लगा। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने भर्ती कर लिया लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद एनर्जी अस्पताल प्रबंधन ने ही मरीज को इंदौर के गोकुलदास अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां पांच दिन से शानू का इलाज चल रहा था। पहले उसे आईसीयू में रखा गया। इस दौरान वेंटीलेटर पर भी रखा गया। इस दौरान मरीज से किसी परिजन को मिलने नहीं दिया गया। इसलिए उसकी स्थिति से वे अंजान रहे।

सोमवार रात महिला को वार्ड में शिफ्ट किया गया। उसने परिजन से बात की लेकिन मंगलवार दोपहर में उसकी हालत खराब हुई तो डॉक्टरों ने उसे दोबारा आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। इस संबंध में परिजनों को कुछ नहीं बताया गया। महिला के भांजे जावेद शेख ने बताया कि हमें अस्पताल से फोन आया। उन्होंने बताया कि मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया है। इसलिए अस्पताल में रखने का कोई मतलब नहीं है। उसे घर ले जाईए। हमसे कुछ कागज पर साइन करवाए।

शाम 4.30 बजे एम्बुलेंस से हम शानू को घर लाने लगे तभी रास्ते में उसने हाथ-पैर हिलाए। हमसे बात की। हमने तुरंत डॉक्टर को फोन लगाया तो वे बोेले कि वेंटीलेटर पर थीं, इसलिए दस मिनट उसका असर रहेगा, उसकी मौत हो गई है। लेकिन काफी देर तक शानू ने बात की। हम तुरंत वापस गोकुलदास अस्पताल आए। अभी भी वह हमसे बात कर रही है।

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