अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के 28वें दिन आज सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने विवादित इमारत को मस्जिद साबित करने की कोशिश की. उन्होंने बाबर की आत्मकथा बाबरनामा के अलग-अलग संस्करणों का कोर्ट में ज़िक्र किया और कहा, “हर संस्करण में साफ तौर पर यह दर्ज है कि बाबर के हुक्म से अयोध्या में मस्जिद तामीर की गई थी.” धवन ने यह भी कहा कि इमारत पर अरबी और फारसी भाषा में कई बातें लिखी थी. इससे भी साबित होता है कि वह इमारत हिंदू मंदिर नहीं थी.
धवन ने रामलला विराजमान और श्रीराम जन्मस्थान के नाम पर याचिका दाखिल किए जाने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “एक तरफ देवता के अधिकार की बात कही जा रही है. दूसरी तरफ पूरे जन्म स्थान को ही पूजा की जगह बता कर देवता जैसा दर्जा दिया जा रहा है. हिंदू पक्ष की कोशिश यही है कि मुस्लिम पक्ष को जमीन से पूरी तरह से बाहर कर दिया जाए
धवन ने आगे कहा, “इलाहाबाद हाई कोर्ट को यह देखना चाहिए था कि जन्मस्थान को याचिकाकर्ता बनाकर याचिका कैसे दाखिल हो सकती है. अभी भी सुप्रीम कोर्ट इस कमी को दूर कर सकता है. जन्म स्थान को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए.”
आज करीब 1 घंटा ही सुनवाई चली. कल धवन की जजों से नोकझोंक हो गई थी. उन्होंने सवाल पूछ रहे जज के लहज़े को आक्रामक बता दिया था. हालांकि, बाद में अपनी गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट से माफी भी मांगी थी. आज सुनवाई कम देर चलने की वजह से ज्यादा सवाल जवाब की नौबत नहीं आई.
गौरतलब है कि कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने की समय सीमा पहले ही तय कर चुका है. उसने सभी पक्षों से कहा है कि वह 18 अक्टूबर तक अपनी जिरह पूरी कर ले. कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की तरफ से दिए शेड्यूल के मुताबिक अगले हफ्ते उनकी बहस पूरी हो जानी है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में 4 नए जजों के शपथ ग्रहण के चलते सुनवाई साढ़े 10 की बजाय 12 बजे से शुरू होगी. ऐसे में कोर्ट ने उस दिन अतिरिक्त समय तक सुनवाई की बात कही है. आज की सुनवाई खत्म कर उठते समय पांच जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा, “सोमवार को हम 12 बजे से सुनवाई करेंगे. लेकिन उस दिन सुनवाई 4 की बजाय 5 बजे तक चलेगी. हम कोशिश करेंगे कि लंच ब्रेक पर छोटा रखा जाए ताकि जिरह के लिए ज़्यादा वक्त मिल सके