मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापकों के अलग- अलग विषयों के खाली पदों की नियुक्ति पर लगी रोक उच्च न्यायालय जबलपुर ने हटा ली है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस विजय शंकर झा और विजय कुमार की बेंच ने संयुक्त रूप से आदेश में कहा कि जो आरक्षित वर्ग की महिलाएं, अनारक्षित महिला के पदों पर चयनित सूची में हैं, केवल उन कुछ पदों को रोककर बाकी सभी पर नियुक्ति देने में शासन स्वतंत्र है। इस बहस में शासन, पीएससी और पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ की तरफ से हिमान्शु मिश्रा, प्रशान्त सिंह, अंशुल तिवारी और आकाश चौधरी ने पैरवी की।
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर चयन प्रक्रिया में हॉरिजोंटल महिला आरक्षण के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग एवं लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। और केवल केमिस्ट्री विषय की चयन सूची में आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अनारक्षित महिला वर्ग में चयन पर अगली सुनवाई तक स्टे दिया है। साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को एक बड़ी राहत देते हुए अपने अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट किया है कि उक्त स्टे का प्रभाव केवल इसी विस्तार तक रहेगा कि आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों का समायोजन अनारक्षित महिला पदों पर हुआ है।
फिलहाल केवल इन कुछ नियुक्तियों पर रोक रहेगी। यही नहीं न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सबंधित प्राधिकारी अर्थात उच्च शिक्षा विभाग चयन सूची के शेष भाग पर आगे नियुक्तियां कर सकते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित 2500 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए यह एक बड़ी राहत है।