जयराम सरकार ने प्रदेश में पर्यटन कारोबार के क्षेत्र में निवेशकों को रिझाने के लिए रियायतों का पिटारा खोल दिया है। राज्य में पर्यटन कारोबार करने वाले हिमाचलियों को स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण फीस में 70 फीसदी छूट दी जाएगी। टूरिज्म प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने पर आए खर्च का 90 फीसदी भी सरकार निवेशकों को लौटाएगी। शुक्रवार को सरकार ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन नीति 2019 को अधिसूचित कर इसका खुलासा किया है।
16 सितंबर को जयराम मंत्रिमंडल ने पर्यटन नीति 2019 को मंजूर किया है। नई नीति के तहत हिमाचल से बाहर के निवेशकों को 10 करोड़ तक के निवेश पर स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण फीस में 50 फीसदी सब्सिडी देने का फैसला लिया है। सरकार ने होटल स्टाफ को दक्ष बनाने के लिए ट्रेनिंग का भी प्रावधान किया है। इसके तहत कर्मियों को छह माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका 50 फीसदी खर्च सरकार करेगी।
प्रति यूनिट सरकार एक साल में 50 हजार रुपये का खर्च उठाएगी। प्रशिक्षण से लौटने के छह माह बाद होनेे वाले थर्ड पार्टी ऑडिट के बाद सरकार 50 फीसदी राशि अदा करेगी। पर्यटन इकाइयों के एनर्जी ऑडिट के लिए सरकार 40 से 75 फीसदी तक सब्सिडी देगी। सभी नई पर्यटन इकाइयाें में साल में एक इवेंट होगा। नई पर्यटन नीति में इको, जैविक कृषि, स्नो, झील, साहसिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं धरोहर, स्वास्थ्य एवं वेलनेस तथा फिल्म पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया है।
थीम पार्क, लाइट एंड साउंड शो, एडवेंचर पार्क निर्माण के लिए अधिकतम तीन करोड़ सब्सिडी मिलेगी। टेंट बनाने के लिए दस फीसदी और अधिकतम 50 लाख सब्सिडी होगी। जिन क्षेत्रों में सड़कें नहीं हैं वहां सड़क बनाने को सरकारी जमीन दी जाएगी। सड़क निर्माण को 15 फीसदी ग्रांट या अधिकतम 50 लाख तक की राशि मिलेगी। पानी की सप्लाई पहुंचाने के लिए 15 फीसदी ग्रांट या 50 लाख मिलेंगे। रोपवे के लिए भी निवेशकों को रियायतें मिलेंगी। पर्यटन इकाइयां लगाकर बेहतरीन काम करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने छह श्रेणियों के तहत एक लाख रुपये का एक्सीलेंस अवार्ड देने का फैसला लिया है। इसके अलावा होटल, टूर आपरेेटर, एजेंट, गाइड, एडवेंचर टूर आपरेटर और होम स्टे को मान्यता पुरस्कार मिलेगा।