ग्लोबल इन्वेस्टर मीट की तैयारियों में जुटी हिमाचल सरकार ने बुधवार को राजधानी शिमला में आयोजित पावर कॉनक्लेव में 25,772 करोड़ के निवेश के लिए 10 एमओयू साइन किए। एसजेवीएनएल के साथ सात, एनटीपीसी के साथ दो और एनएचपीसी के साथ एक एमओयू साइन हुआ। इन बिजली परियोजनाओं को सभी मंजूरियां मिलने के बाद पांच से छह साल के भीतर उत्पादन शुरू करना होगा। परियोजनाओं के धरातल पर उतरते ही हिमाचल में 2,927 मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ जाएगा।
परियोजनाओं में 14,655 लोगों को नौकरियां मिलेंगी। इन नौकरियों में 70 फीसदी पद हिमाचलियों के लिए आरक्षित होंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में प्रधान सचिव ऊर्जा प्रबोध सक्सेना ने तीनों बिजली कंपनियों के साथ एमओयू साइन किए। ये परियोजनाएं लाहौल-स्पीति, किन्नौर, चंबा, कुल्लू, मंडी, शिमला और हमीरपुर जिलों में चिनाब, सतलुज, रावी बेसिन पर स्थापित होंगी। प्रदेश सरकार ने छह एमओयू कानूनी दस्तावेजों और चार एमओयू औद्योगिक दस्तावेजों पर साइन किए।
डुग्गर प्रोजेक्ट एनएचपीसी, सेली और म्याड़ प्रोजेक्ट एनटीपीसी को दिया गया है। शेष सात एमओयू एसजेवीएनएल के साथ किए गए। सबसे अधिक एमओयू करने वाला एसजेवीएनएल 16,160 करोड़ का निवेश करते हुए प्रदेश में 1958 मेगावाट का बिजली उत्पादन करेगा।
सेली 400 80 महीने 4400 1200
म्याड़ 120 78 महीने 1100 700
धौलासिद्ध 66 54 महीने 650 800
लूहरी स्टेज वन 210 62 महीने 1745 1000
सुन्नी डैम 382 55 महीने 2555 1500
लूहरी स्टेज टू 172 60 महीने 1730 1500
जंगीथोपन पोवारी 780 55 महीने 5650 4000
प्रूथी 210 60 महीने 2310 1055
बरदंग 138 60 महीने 1520
प्रदेश सरकार ने अभी 75 हजार करोड़ के निवेश के लिए एमओयू साइन कर दिए हैं। सरकार ने इन्वेस्टर मीट के लिए 85 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा है। बुधवार को ऊर्जा निदेशालय ने अभी तक का सबसे अधिक निवेश जुटाया है