मध्य प्रदेश में मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव और भोपाल नगर निगम बंटवारे पर बीजेपी नेताओं के दल ने बुधवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और भोपाल के बीजेपी विधायक शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल ने मेयर और निगम अध्यक्षों के अप्रत्यक्ष चुनाव के अलावा भोपाल नगर निगम के विभाजन के विरोध में कराए गए लाखों हस्ताक्षर राज्यपाल को सौंपकर कमलनाथ सरकार की इन कोशिशों पर रोक की मांग की. राज्यपाल से मुलाकात के बाद राजभवन के बाहर आए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने आरोप लगाया कि ‘भोपाल नगर निगम का बंटवारा कमलनाथ सरकार का निंदनीय प्रयास है.
इसके साथ ही सरकार की ओर से इंदौर एवं जबलपुर नगर निगमों के बंटवारे की बात भी की जा रही है. जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ने वाला है. राकेश सिंह ने कहा कि सरकार के पास पहले से ही सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं हैं, ऐसी स्थिति में जो स्थापना का व्यय आएगा, खर्च का जो बोझ आएगा, उसकी पूर्ति भी सरकार टैक्स के माध्यम से जनता से ही करेगी.
वहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “प्रदेश सरकार का प्रयास है कि भोपाल, इंदौर और जबलपुर नगरनिगमों का बंटवारा हो, लेकिन यह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है. यह भाई-भाई को बांटने की साजिश है. सांप्रदायिक आधार पर भोपाल के विभाजन की कोशिश है. केवल राजनीतिक स्वार्थों के चलते सरकार सांप्रदायिक आधार पर विभाजन करे, यह नहीं होने दिया जाएगा. ये फिजूलखर्ची है.वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जब मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद जैसी बड़े शहरों में नगर निगम एक हो सकता है, तो भोपाल-इंदौर में नगर निगम के विभाजन की कोई जरूरत नहीं है. यह सरकार का नगर निगमों पर कब्जा करने का हथकंडा है