कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी मनाया जाता है. इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा होती है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव अवतार लिया था. काल भैरवाष्टमी 19 नवंबर को यानी आज मनाई जा रही है. भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा होती है.
कैस करें भगवान भैरव की पूजा
1 भैरव जी की पूजा संध्याकाल में करें.
2 इनके सामने एक बड़े से दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
3 इसके बाद उरद की बनी हुई या दूध की बनी हुयी वस्तुएं उन्हें प्रसाद के रूप में अर्पित करें.
4 विशेष कृपा के लिए इन्हें शरबत या सिरका भी अर्पित करें.
5 तामसिक पूजा करने पर भैरव देव को मदिरा भी अर्पित की जाती है.
6 प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मन्त्रों का जाप करें.
भगवान भैरव के पूजा की सावधानियां
1 गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए.
2 सामान्यतः बटुक भैरव की ही पूजा करें, यह सौम्य पूजा है.
3 काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें.
4 साथ ही काल भैरव की पूजा बिना किसी योग्य गुरु के संरक्षण के न करें.
5 भगवान भैरव के विशेष मंत्र जिनका जप करना लाभदायक होगा.
भैरव मंत्र
-“ॐ भैरवाय नमः”
-“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ”
– “ॐ भं भैरवाय अनिष्टनिवारणाय स्वाहा”