महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 केस बंद करने के खिलाफ Congress-NCP और शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसके साथ ही फडणवीस सरकार के किसी भी पॉलिसी निर्णय के लेने पर रोक की मांग की है. हालांकि महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ANI ने कहा है कि बंद किए गए 9 मामलों में से कोई भी मामला अजित पवार से नहीं जुड़ा है. जिन्होंने शनिवार की सुबह बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि यह एक रुटीन प्रक्रिया है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक हंगामे के बीच एक ख़बर आई थी कि एसीबी ने सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए हैं. सिंचाई घोटाले में अजित पवार भी आरोपी हैं जो फिलहाल फडणवीस की सरकार में उपमुख्यमंत्री बना दिए गए हैं.
इस पर विवाद बढ़ता देख बाद में ACB के वरिष्ठ अधिकारी परमबीर सिंह ने ANI से कहा, ‘सिंचाई से जुड़ी शिकायतों के मामले में करीब 3000 टेंडरों की जांच हम कर रहे हैं. ये नियमित जांच है जो बंद हुई है और बाकी मामलों में जांच पहले की तरह ही जारी है.’ उन्होंने कहा कि आज जिन मामलों को बंद किया गया है उनमें से कोई भी अजित पवार से जुड़े नहीं हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो के नोटिफिकेशन के अनुसार जिन 9 मामलों को बंद किया गया है वो विदर्भ क्षेत्र के वाशिम, यवतमाल, अमरावति और बुलढाणा की सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े हैं.
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी सिंचाई घोटाले को लेकर हमेशा अजित पवार पर निशाना साधते रहे हैं. 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जो पहली कार्रवाई उन्होंने की थी वो थी सिंचाई घोटाले में अजित पवार की कथित भूमिका की जांच के आदेश देना. आरोपों में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के वक्त जब अजित पवार उप मुख्यमंत्री थे तब करीब 70000 करोड़ रुपये के हेराफेरी के भी आरोप हैं. सिंचाई घोटाले में महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के दौरान कई सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उनके क्रियान्वयन में अनियमितताएं शामिल हैं. पिछले महीने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, शरद पवार और अजित पवार दोनों पर प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का आरोप लगाया था जो एक कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा था