राष्ट्रीय महासचिव और कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम करने वाले जगत प्रकाश नड्डा सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। नड्डा के सारथी से शिखर तक पहुंचने के पीछे कई तरह के कारण रहे हैं। देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल कही जाने वाली भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले नड्डा एक समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सारथी हुआ करते थे। जिस दौर में मोदी पार्टी के प्रदेश प्रभारी के तौर पर संगठन को मजबूती देने के लिए काम कर रहे थे, तब नड्डा उन्हें अपने स्कूटर पर बैठाकर हिमाचल के गांव-गलियों में घुमाते थे। पार्टी का खर्च बचाने और प्रचार के लिए ज्यादा समय देने को नड्डा पीएम मोदी को अपने घर पर ही साथ रखते थे।
यही नहीं, हिमाचल में जब तत्कालीन प्रो प्रेम कुमार धूमल की सरकार में उनके लिए असहज स्थितियां बनीं तो वह मंत्री का पद छोड़कर संगठन में काम करने के लिए चले गए। लंबे समय तक संगठन में काम करने के दौरान जब 2014 में मोदी सरकार बनी तो स्वास्थ्य मंत्री रहते उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षा वाली कई योजनाओं को परवान चढ़ाया। 2019 के चुनावों में जब तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सरकार में शामिल होने की चर्चा शुरू हुई तो पहले यूपी का प्रभारी शाह के स्थान पर नड्डा को बनाया गया।
इसके बाद जब शाह की जगह संगठन में कमान सौंपने का नंबर आया तो भी मोदी के विश्वासपात्र नड्डा ने बाकी सभी नेताओं से बाजी मार ली। जाहिर है, निजी से लेकर सियासी संबंधों और संगठन के प्रति निष्ठा की बदौलत ही आज नड्डा देश के सबसे बड़े सियासी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे हैं।