राजधानी स्थित देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थान भारत भवन के विस्तार की परियोजना मूर्त रूप ले चुकी है। भारत भवन के ग्रीन जोन (भोपाल तालाब के किनारे का क्षेत्र) में कला ग्राम (आर्टिस्ट विलेज) बनेगा। कला ग्राम पूरी तरह जीवंत और कला के एकाग्र स्वरूप को निखारने में मदद करेगा। यहां पर चित्रकार, आदिवासी कलाकार और साहित्यकार दो साल तक रहकर अपनी कला को संवार सकेंगे। भारत भवन के विस्तार की ये संकल्पना बीते 7-8 साल से बन रही है, जिसे अब मूर्त रूप दिया जाएगा। स्थापना (1982) के बाद पहली भारत भवन का विस्तार किया जाएगा।
कला ग्राम का निर्माण भारत भवन के ग्रीन लैंड में किया जाएगा, इसलिए ये निर्माण पक्का नहीं होगा। यहां पर ज्यादातर निर्माण बांस और लकड़ियों का होगा। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारत भवन के विस्तार योजना और कला ग्राम बनाने को मंजूरी दी थी। मुख्यमंत्री भारत भवन प्रबंधन की बैठक में कलाग्राम बनाए जाने संबंधी दिशा-निर्देश भी दिए थे। इसमें उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि भारत भवन जीवंत संस्थान बने और यहां पर मनहूसियत नहीं होनी चाहिए। इसलिए कला ग्राम को इस तरह से तैयार किया जाए, जिससे वह जीवंत रहे और हर रोज कला, संस्कृति और संगीत की गतिविधियां होती रहें।
मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि कोई भी कलाकार जो एकाग्र होकर अपनी कला को निखारना चाहता है, उसके लिए यहां पर प्राथमिकता में जगह होनी चाहिए। सीएम के निर्देश के बाद भारत भवन के अफसरों ने तेजी दिखाई और कलाग्राम के लिए चिह्नित की गई लगभग 1.10 एकड़ जमीन के अलॉटमेंट नगरीय प्रशासन विभाग को फाइल भेज दी है। जमीन की मंजूरी मिलते ही कला ग्राम बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
राजधानी में कला संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों को गति देने और राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के उद्देश्य से भारत भवन में कलाग्राम स्थापित करने के लिए इसकी परिकल्पना वर्ष 2013-14 में हुई थी। उसके बाद भारत भवन प्रबंधन ने जगह चिह्नित कर जमीन अलॉटमेंट के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन जमीन अलॉटमेंट नहीं हो सकी थी। इस वजह से कला ग्राम प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। नगरीय प्रशासन विभाग से जमीन अलॉटमेंट होने के बाद कलाग्राम की डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी और उसके बाद कलाग्राम का निर्माण शुरू होगा। भारत भवन के सीईओ प्रेमशंकर शुक्ला ने बताया कि नगरीय प्रशासन विभाग से जमीन अलॉटमेंट होने की तारीख से करीब 8 महीने में कलाग्राम आकार ले लेगा।
कलाग्राम में सभी कलाओं रूपंकर, संगीत, साहित्य, रंगमंच आदि से जुड़े स्टूडियो तैयार किए जाएंगे। इन मल्टीपल स्टूडियो में पेंटिंग्स बनाने के लिए अलग स्टूडियो होगा, जहां चित्रकार या कोई भी कलाकार बिना किसी गतिरोध के काम कर सकेगा। इसी प्रकार सिरेमिक या मिट्टी के स्कल्पचर बनाने के लिए भी एक खास जगह तैयार की जाएगी। इस स्टूडियो में माटी को आकार देने वाले कलाकार तरह-तरह की आकृतियां गढ़ेंगे। इसी प्रकार साहित्यकारों के लिए विशेष स्थान इस स्टूडियों में होगा। जहां वह अपनी कल्पना को अपने विचारों के साथ कागज पर उतार सकेंगे।
गीत और संगीत साधकों के लिए भी यहां खास इंतजाम होंगे, जहां वह सुर-सधाना कर सकेंगे। वहीं भारत भवन में फिर से शुरू होने वाले रंगमंडल के लिए कलाग्राम में अलग से स्थान तैयार किया जाएगा। जहां कलाकार दिन भर नाटक की रिहर्सल कर नए-नए नाटकों की पूरी तैयारी कर सकेंगे।
वरिष्ठ रंगकर्मी बंसी कौल कहते हैं कि हर शहर की अलग-अलग समय में अलग-अलग तरह की आवश्यकताएं होती हैं। हम कलाग्राम को किस सेंस में देखते हैं, यह अलग बात है। 20 सालों में पूरा शहर का शहर बदल जाता है, ऐसे में कई चीजें एक दायरे में सिमट कर रह जाती हैं। ऐसे में नई सोच और जरूरतों के अनुसार हमें कला पर सोचना चाहिए व इसके लिए कलाग्राम बेहतर विकल्प रहेगा।
भारत भवन के सीईओ प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें मंच प्रदान करने के उद्देश्य से ओपन थिएटर तैयार किया जाएगा। जहां युवा प्रतिभागी कविता, गीत-संगीत सहित बैंड आदि की प्रस्तुति दे सकेंगे। कलाग्राम में स्कल्पचर गार्डन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा। इसमें कलाकार यहीं रहकर स्कल्पचर तैयार करेंगे। वरिष्ठ कलाकारों से युवा कलाकारों को इंटरेक्शन का मौका मिलेगा। परिसर में तीन से चार अलग-अलग आर्ट वर्क स्टूडियो तैयार किए जाएंगे। यह स्टूडियो बैंबू से तैयार होंगे, जिसमें विभिन्न जनजातीय कलाकारों को अपनी कला को आकार देने का मौका मिलेगा।