महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेताओं की फोन टैंपिंग का मामला सामने आया है. इस मामले में उद्धव सरकार ने शुक्रवार को जांच के आदेश दिए हैं. यह फोन टैंपिंग चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार बनाने की कोशिश के दौरान की गई थी.
सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार, उद्धव ठाकरे और संजय राउत उन नेताओं में से हैं, जिनके फोन टैप किए गए थे. फोन टैंपिंग की खबर सामने आने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि मैं बाल ठाकरे का चेला हूं, जो कुछ करता हूं, खुले तौर पर करता हूं. महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री अनिल देशमुख ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कहा कि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान गैरबीजेपी नेताओं के फोन टैप किए जा रहे थे. हमने इस गंभीर मसले में जांच के आदेश दिए हैं. वहीं संजय राउत ने एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें पहले ही इस बारे में आगाह किया गया था.
राउत ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘आपका फोन टैप किया जा रहा है, काफी पहले बीजेपी सरकार के एक मंत्री ने बताया था. तब मैंने उनसे कहा था कि जो भी मेरी बातचीत सुनना चाहता है सुने. मैं बाला साहेब ठाकरे का चेला हूं. मैं कुछ भी छिपा के नहीं करता हूं.’ रिपोर्ट्स के मुताबिक संजय राउत के अलावा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेनना प्रमुख उद्धव ठाकरे के फोन भी टैप किए जा रहे थे. फोन टैपिंग, चुनाव के बाद जब सरकार बनाने को लेकर सभी प्रमुख पार्टियों के बीच बैठक चल रही थी, बातें हो रही थी उस दौरान भी जारी थी.
इस मामले में अब महाराष्ट्र के गृह विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं. महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को कहा कि अगर फोन टैपिंग की बात सच है तो यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है. आजतक के रिपोर्टर से बात करते हुए अनिल देशमुख ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए मुंबई साइबर सेल को तुरंत जांच के आदेश दिए गए हैं. जिससे पता चल सके कि किन अन्य विपक्षी नेताओं की फोन टैपिंग चल रही थी.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने कहा, ‘ महाराष्ट्र पुलिस के साइबर सेल को जांच के लिए कहा गया है. पिछली सरकार के दौरान जिस किसी की फोन टैपिंग हुई है , सभी मामलों में जांच होगी. यह जांच विपक्षी नेताओं के शिकायतों के आलोक में किया जा रहा है. जो महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की नई सरकार बनाने के दौरान की गई थी.’ उन्होंने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछली सरकार के दौरान विपक्ष के नेताओं के फोन टैपिंग के लिए व्यवस्था का गलत फायदा उठाता गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान मुंबई साइबर सेल को अध्ययन के लिए इसराइल भेज दिया गया था.