हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का इस बार भी बजट घाटे का ही रहेगा। मगर नई शिक्षक गैर शिक्षकों की भर्ती होने से वेतन के अतिरिक्त बोझ के चलते बजट घाटा पिछले बजट घाटे से तो अधिक ही रहेगा। इसे कम करने के लिए विवि को नई बढ़ी देनदारियों को देखते हुए प्रदेश सरकार से मिलने वाले वार्षिक अनुदान को दो सौ से ढाई सौ करोड़ तक की डिमांड रहेगी। राज्य विश्वविद्यालय होने के नाते एचपीयू की अपने घाटे को कम करने और बढ़े खर्च पूरे करने को प्रदेश की सरकार पर ही निर्भरता रहेगी। नई भर्ती से ही विवि पर 50 से 60 करोड़ तक का वार्षिक खर्च बढ़ने वाला है। जिसके चलते विवि को प्रदेश सरकार से अनुदान में बढ़ोतरी कर इसे 200 से 250 करोड़ तक करने की दरकार रहेगी।
विश्वविद्यालय ने अपने वार्षिक बजट को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आने वाले साल के तमाम खर्च, देनदारियों और फीस सहित सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स के अलावा अन्य स्रोतों से होने संभावित आय का आकलन कर ही इस बजट को तैयार करता है। जिसमें विवि को अपने स्रोतों से 80 से 85 करोड़ तक सालाना आया होती है। जबकि वेतन पर ही विवि का 110 करोड़ से अधिक का खर्च रहता है, जो इस बार डेढ़ से पौने दो सौ करोड़ से अधिक जाना तय है। विवि पर इस साल से नई भर्तियों का ही सबसे बड़ा आर्थिक बोझ पढ़ने वाला है, जिससे देनदारियों में करोड़ों की बढ़ोतरी होना तय है। विवि के जन संपर्क अधिकारी डॉ. रणवीर वर्मा का कहना है कि बिजट तैयार करना शुरू कर दिया गया है।