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भोपाल में 10 साल से नहीं बदली भाजपा की टीम…

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भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के आने के बाद अब प्रदेश पदाधिकारियों और भोपाल की टीम में बड़ा बदलाव जल्द होगा। प्रदेश की टीम में 6 साल और भोपाल की टीम में 10 साल से कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से भी भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने साफ कर दिया गया है कि काम करने वाले और कार्यकर्ताओं के बीच पकड़ रखने वाले नेताओं को आगे लाया जाए।

नए प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने भी संकेत दे दिए हैं कि विपक्ष में होने के बाद पार्टी की मजबूती और ताकत को बढ़ाने के लिए जो भी संगठन के लिए जरूरी होगा, वह सब किया जाएगा। जिम्मेदारियों को भी बदला जाएगा। बताया जा रहा है कि 2014 में प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद नंदकुमार सिंह चौहान ने थोड़ा परिवर्तन किया था, लेकिन 17 अप्रैल 2018 तक यही टीम काम करती है। इसके बाद 18 अप्रैल को सांसद राकेश सिंह ने जिम्मा संभाला, लेकिन विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के कारण उन्होंने भी कोई बदलाव नहीं किया।

इतने समय प्रदेश में महामंत्री रहे अरविंद भदौरिया और विनोद गोटिया उपाध्यक्ष हो गए। प्रदेश मंत्री रहे रामेश्वर शर्मा भी उपाध्यक्ष हो गए। ऊषा ठाकुर उपाध्यक्ष पद पर बनी रहीं। सत्येंद्र भूषण लंबे समय से प्रदेश कार्यालय मंत्री हैं। विजेश लुनावत उपाध्यक्ष हैं। अजय प्रताप सिंह भी प्रदेश की टीम में बने हुए हैं। प्रदेशाध्यक्ष बनने से पहले शर्मा खुद महामंत्री रहे, लिहाजा यह पद अब रिक्त हो गया है। माना जा रहा है कि मार्च-अप्रैल में नई टीम सामने आ सकती है।संघ के निर्देश हैं कि 15 साल तक सत्ता में मंत्री रहे या अन्य किसी सरकारी व्यवस्था में रहे लोगों को संगठन में लाया जाए। इसमें से कुछ महामंत्री, मंत्री व प्रदेश उपाध्यक्ष पद के साथ प्रदेश प्रवक्ता बनेंगे।

राजधानी में पार्टी के भीतर अलग-अलग गुट बन गए हैं। इनमें सामंजस्य नहीं होने की जानकारी संघ तक पहुंची है। यह भी सामने आया है कि आलोक शर्मा के जिलाध्यक्ष रहते समय जो लोग पदों पर थे, वे 10 साल से वहीं हैं। शर्मा ने दो कार्यकाल पूरे किए, इसके बाद सुरेंद्रनाथ सिंह जिलाध्यक्ष बने, लेकिन टीम वही रही। सिंह ने वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करके टीम बदलने की कवायद शुरू की पर उन्हें सहयोग नहीं मिला। इसके बाद विकास विरानी भी पुरानी टीम ही चला रहे हैं। संघ के विभाग से लेकर प्रांत तक स्थानीय भाजपा नेताओं ने अपनी बात पहुंचा दी है।

जब विपक्ष में पार्टी होती है तो उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। संगठन की मजबूती और विस्तार के लिए जो भी जरूरी होगा, वह सब चर्चा के बाद करेंगे।

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