Home मध्य प्रदेश इंदौर में सीना चीर देने वाली इमोशनल डिस्टेंसिंग…

इंदौर में सीना चीर देने वाली इमोशनल डिस्टेंसिंग…

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कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के लिहाज से रविवार को थोड़ी राहत मिली और संख्या 7 ही रही। मगर दुखद घटनाक्रम 4 मरीजों की मौत का रहा। इनमें जूनी इंदौर टीआई देवेंद्र कुमार चंद्रवंशी की मृत्यु भी शामिल है। उनके अलावा साकेत बिलगैया (42), राजेश चंदेरिया (47) और कुंवर लाड़ी बाई (46) की मौत हुई। इसके साथ ही शहर में मौतों का आंकड़ा 52 पर पहुंच गया है और संक्रमित मरीजों की संख्या 897 है।

ड्यूटी के दौरान संक्रमण का शिकार हुए जूनी इंदौर टीआई देवेंद्र कुमार चंद्रवंशी की शनिवार-रविवार दरमियानी रात अरबिंदो हॉस्पिटल में मौत हो गई। रात 11.30 उन्हें सांस लेने में परेशानी हुई। देर रात 2.50 बजे तक डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की मगर आखिरकार 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें फेफड़ों में निमोनिया संक्रमण हो गया था, जो मौत का मुख्य कारण रहा। वे 19 दिन से अस्पताल में इस गंभीर बीमारी से लड़ रहे थे। दोपहर 12.30 बजे रामबाग मुक्तिधाम पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परिवार को सरकार 50 लाख रु. मुआवजा और पत्नी को नौकरी देने की घोषणा की है। आईजी विवेक शर्मा ने कहा कि अब किसी पुलिसकर्मी में काेरोना के लक्षण मिले तो 24 घंटे के भीतर उसकी अनिवार्य जांच की जाएगी।

डॉ. भंडारी ने कहा- उनकी 2 रिपोर्ट निगेटिव ही आई थी
चंद्रवंशी को 31 मार्च को संक्रमण के लक्षण मिलने पर अस्पताल में भर्ती किया था। उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था। डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक, 13 अप्रैल को उनकी पहली रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन 16 व 17 अप्रैल को ली गई रिपोर्ट निगेटिव रही। रविवार को उन्हें डिस्चार्ज करने वाले थे, लेकिन शनिवार रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उनका हार्ट रेट 140 से 150 के बीच पहुंच गया और उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी मृत्यु पल्मोनरी एम्बोलिज्म के कारण हुई।

देवेंद्र को श्रद्धांजलि देने के तीन तरीके : उन्होंने कोरोना से लड़ते जान गंवाई है, इसलिए…

1. लक्षण हो तो छिपाएं नहीं, खुद आगे आएं, बताएं।
2. देवेंद्र जैसे शहर के हर वॉरियर को 2 चीजें दें- सहयोग और सम्मान।
3. लॉकडाउन के दौरान घर में ही रहें।
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1. जरूरतमंदों को भोजन व राशन बांटना। अभी भी अनेक जगहों पर यह काम क्षेत्र के थानों से संचालित हो रहा है।
2. दिनभर की ड्यटी के बाद रात्रि गश्त। कई अफसरों को इसके बाद सुबह 4 बजे से प्रभात गश्त करनी होती है।
3. कंटेनमेंट क्षेत्र को सील करना, लोगों को मेडिकल के लिए भेजना, आवश्यक वस्तुओं की स्थिति देखना।
4. संक्रमित हुए लोगों को क्वारेंटाइन करवाना या पॉजीटिव को अस्पताल के लिए भेजना।
5. अस्पताल से भाग रहे संक्रमितों और संदिग्ध मरीजों को पकड़ना हॉस्पिटलाइज भी करवाने का काम।
6. कोरोना से हुई मौतों के बाद अक्सर शव का बिना किट पहने पोस्टमॉर्टम करवाने की भी स्थिति देखी गई।
7. कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों से निपटना, थाने लाना। इनमें कोई भी मरीज के सम्पर्क में आया हो सकता है।

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