Home मध्य प्रदेश चीन से आईं किट से कोरोना की जांच में देरी…

चीन से आईं किट से कोरोना की जांच में देरी…

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कोविड जांच लैब में आधा स्टाफ क्वारेंटाइन होने के अलावा एक और कारण है कि मरीजों की संख्या एकदम से कम हो गई। पिछले दिनों भोपाल से किट का जो लाॅट भेजा गया, उसके चलतेे करीब 30% जांच ही हो पा रही हैं। मंगलवार को भी सिर्फ 54 सैंपल जांचे गए जिनमें आठ पॉजिटिव मिले।

दिक्कत यह है कि इन कारणों से 1500 से ज्यादा सैंपल पेंडिंग हो गए हैं। दरअसल सरकार ने पिछले दिनों आरएनए एक्सट्रैक्शन के लिए मैग्नेटिक वीड बेस तकनीक वाली चाइनीज किट भेजी है। इसके चलते एमजीएम की वायरोलॉजी लैब में, फाइनल टेस्ट सैंपल तैयार करने का काम बहुत धीमा हो गया है। लैब रोज दिन में 300-400 के बजाय 2 दिन में सिर्फ 112 जांच ही कर पाई। भोपाल के अधिकारी अभी भी जल्द किट के इंतजाम करने की बात कह रहे हैं।

दरअसल, कोविड-19 की जांच जिस पीसीआर मशीन से होती है, उसके पहले सैंपल में से आरएनए और डीएनए अलग करना पड़ता है। फाइनल टेस्ट के लिए सैंपल में से डीएनए और आरएनए एक्सट्रैक्शन का काम दो तकनीक से होता है। एक है मैग्नेटिक वीड, दूसरी है कॉलम बेस तकनीक। पहले जो किट भेजी गई थी, वह कॉलम बेस तकनीक पर आधारित थी। इससे तेजी से सैंपल तैयार हो जाते थे। अब चाइनीज किट का जो लाॅट भेजा गया, वह मैग्नेटिक वीड तकनीक पर आधारित है जिसके लिए हमारे यहां व्यवस्था नहीं हैं।

आईसीएमआर से निजी लैब में जांच की अनुमति ला पाए
अफसर 1 महीने में ना तो आईसीएमआर से निजी लैब में जांच की अनुमति ला पाए और ना ही तेजी से जांच वाली टेस्ट किट। बाजार में अब ऐसी कई टेस्ट किट उपलब्ध हैं जिनसे मौजूदा 6-8 घंटे की जगह 3-4 घंटे में ही परिणाम मिल सकते हैं। कुछ राज्य सरकारों ने वैकल्पिक व्यवस्था की है।

यह वायरस अब हमारी जिंदगी का हिस्सा है, आगे भी चलता रहेगा
नीता सिसौदिया काे बताया कि इंदौर में संक्रमण के जितने केस सामने आए हैं, वे कुछ गिने-चुने इलाकों से ही हैं। यह वायरस अब जिंदगी का हिस्सा है और आगे भी रहेगा। यह कहना मुश्किल है कि संक्रमण का प्रभाव कब तक रहेगा।

ऐसा नहीं कह सकते कि यह पूरी तरह से चला जाएगा। यह आम फ्लू की तरह ही है, लेकिन अब लोगों को अपनी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाना होगी। इंदौर में पहले ही लॉकडाउन का उल्लंघन हुआ है। जिस कारण ऐसी स्थिति हुई। लोगों को इससे छुटकारा तभी मिलेगा, जब वे सहयोग करेंगे।

डीन डॉ. ज्योति बिंदल बताती हैं कि हमारी लैब में मैग्नेटिक वीड तकनीक वाली जो मशीन उपलब्ध है, उससे एक बैच में सिर्फ 12 फाइनल सैंपल ही तैयार हो पाते हैं। पीसीआर मशीन से जांच और सैंपल तैयार करने में बहुत समय बेकार चला जाता है। हमने भोपाल को इससे अवगत करा दिया है। जहां 19 अप्रैल को सिर्फ 38 जांच कर पाए तो 20 को लैब में सिर्फ 74 जांचें ही हो पाई। सूत्रों के मुताबिक अकेले इंदौर में 1500 से ज्यादा सैंपल जांच के लिए बचे हैं।

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