उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस के मरीजों के साथ बड़ी लापरवाही का मामले सामने आया है. यह मामला यूपी के इटावा जिले का है. कोरोना संक्रमित 69 मरीजों को बृहस्पतिवार सुबह इटावा के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाहर एक घंटे तक फुटफाथ पर इंतजार करना पड़ा. इन मरीजों को यहां भर्ती करने के लिए भेजा गया था. कहा जा रहा है कि मरीजों को भर्ती करने को लेकर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ में विवाद होना इसकी वजह रही.
कोरोना के इन मरीजों को आगरा से सैफई के सरकारी अस्पताल में भर्ती करने के लिए भेजा गया था. स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बस के साथ एस्कॉर्ट टीम भेजी गई थी. इस घटना का वीडियो सामने आया है. जिसमें मरीजों को अस्पताल के गेट के बाहर बैठे हुए देखा गया. अस्पताल का गेट बंद था. एक अन्य वीडियो में दिखाई दे रहा है कि इस वक्त दो पुलिसकर्मी मरीजों को उचित दूरी बनाए रखने के लिए निर्देश दे रहे हैं.
सबसे पहले, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी चंद्रपाल सिंह अस्पताल पहुंचे. वह इस इलाके के प्रभारी हैं. चंद्रपाल सिंह वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं कि “यहीं रुकिए. मेडिकल टीम जल्द यहां आ रही होगी और आप लोगों की सूची बनाकर और आपके अंदर ले जाएगी. जो हुआ सो हुआ. इधर-उधर घूमने की कोशिश नहीं करें.” वहीं, अस्पताल को चलाने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति ने सूचना के अभाव की बात स्वीकारते हुए कहा कि सैफई अस्पताल के डॉक्टरों या मेडिकल स्टॉफ को दोष नहीं दिया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस के कुलपति डॉक्टर राजकुमार ने बताया, “मैं कह नहीं बता सकता कि किसकी लापरवाही थी लेकिन मरीज एक दिन पहले (बुधवार) की पहुंच गए थे. उन्होंने कहा कि जब इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को भेजा जाता है तो प्रक्रिया यह होती है कि डॉक्टर या जिम्मेदारी अधिकारी मरीजों की एक सूची लेकर आता है
जिसमें मरीजों का नाम और उनकी स्थिति की जानकारी होती है. तब हम मरीजों को भर्ती करते हैं, लेकिन यह पर्याप्त सूचना की कमी थी. हमारी टीम अलर्ट थी. लेकिन वे एक दिन पहले पहुंच गए. हमारी टीम को इसकी जानकारी नहीं थी. हालांकि दस्तावेज नहीं होने के बावजूद हमारी टीम ने उन्हें अंदर किया. इसमें 30 मिनट से एक घंटे का समय लिया.