इस लॉकडाउन (Lockdown) के बीच सोशल मीडिया (Social Media) पर एक अनोखी शादी का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो को हम अनोखा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि इस वीडियो में दूल्हा और दुल्हन सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करते हुए लकड़ी या यूं कहें डंडे के जरिए एक दूसरे को ‘वरमाला’ पहनाते हुए नजर आ रहे हैं. चलिए आपको इस अनोखी शादी की पूरी स्टोरी विस्तार में बताते हैं. दरअसल बात यह है कि जैसा कि आपको पता है कोरोनावायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. और इसी कारण सभी तरह के फंक्शन, शादी और कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है.
इस बीमारी का खौफ पूरी दुनिया में इस तरह फैल गया है कि यह कहना गलत भी नहीं होगा कि लोग इस बीमारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी पूरी तरह से कर रहे है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग पालन करते हुए कुक्षी तहसील के ग्राम पंचायत टेकी के निवासी सरकारी शिक्षक जगदीश मंडलोई ने जिस तरीके से अपनी पुत्री की शादी की है वह अपने आप में एक उदाहरण बन गई है.
जगदीश मंडलोई की पुत्री भारती मंडलोई की सगाई अमझेरा निवासी डॉ. करणसिंह निगम के पुत्र डॉ. राजेश निगम के साथ हुई थी उनकी शादी की तारिख भी पक्की कर दी गई थी, सिर्फ इतना ही नहीं शादी के कार्ड भी बांट दिए गए थे. कार्ड पर तय तारीख के मुताबिक भारती की शादी 26 अप्रैल को तय की गई थी लेकिन कोरोनावायरस की रोकथाम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशहित में 24 मार्च से 3 मई तक देश में लॉकडाउन घोषित किया गया है.
इस लॉकडाउन के कारण शादी धूमधाम से नहीं की जा सकी लेकिन जरूरत के हिसाब से तैयारी पूरी कर ली गई थी. तय तारीख के दिन दूल्हा और दुल्हन के परिवार वाले और दोनों तरफ के मुखिया ने आपस में बात कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मंदिर में शादी करवाने का फैसला लिया. शादी में ज्यादा भीड़-भाड़ न रहे, इस बात का ध्यान रखते हुए इस शादी को गांव से दूर एक हनुमान मंदिर में कुछ लोगों की उपस्थिती के बीच करवाया गया.
सबसे पहले पूरे मंदिर में सेनेटाइजर का छिड़काव कराया गया, उसके बाद साधारण तरीके से वर-वधु ने एक मीटर की दूरी से एक दूसरे को लकड़ी से माला पहनाई और फिर हिन्दू रीति रिवाज और मंत्र विधि से शादी संपन्न की गई. इसके बाद शादी में मौजूद गेस्ट को साबुन से अच्छी तरह से हाथ धुलाकर वर वधू को आशीर्वाद दिलवाया गया. इस दौरान वर-वधू ने मंदिर में इस दिन को यादगार बनाने के लिये कई पौधे भी रोपे.