. मप्र में अगले सप्ताह मंत्रिमंडल विस्तार होगा, लेकिन इस बार विस्तार को रूप देना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा में शामिल हो चुके कांग्रेस के 8 और बागियों के मंत्री बनने की संभावना है। ऐसे में भाजपा के लिए सिर्फ 21 मंत्री पद ही बचेंगे, जबकि इन पदों के लिए उसके पास दोगुने से ज्यादा दावेदार हैं। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री सियासी समीकरणों को देखते हुए मंत्रिमंडल में तीन से चार स्थान खाली रखेंगे। अप्रैल में हुए कैबिनेट के गठन में जिस तरह भाजपा ने नरोत्तम मिश्रा के साथ कमल पटेल और मीना सिंह को शामिल किया है
उससे उन 9 पूर्व मंत्रियों में उम्मीद बढ़ गई है जो 2013 का चुनाव हारने के बाद अब 2018 में फिर जीते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजेंद्र शुक्ला के विंध्य क्षेत्र के प्रमुख विधायकों ने बैठक करके संगठन से कहा है कि इस बार सिर्फ शुक्ला नहीं चलेंगे। विंध्य में 30 में से 24 सीटें भाजपा ने जीती हैं, इसलिए अन्य को भी मौका मिले।
यही हाल मालवा और निमाड़ से भी है। इंदौर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और नीमच के दावेदार ओमप्रकाश सकलेचा, जगदीश देवड़ा, यशपाल सिंह सिसोदिया, डॉ. राजेंद्र पांडे, मोहन यादव, चेतन कश्यप, ऊषा ठाकुर, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया और रमेश मेंदोला ने संगठन के समक्ष अपनी बात रख दी है। भिंड से अरविंद भदौरिया नए चेहरे हो सकते हैं। विंध्य में राजेंद्र शुक्ला के अलावा गिरीश गौतम, नागेंद्र सिंह गुढ़, रामलल्लू वैश्य, जुगलकिशोर बागड़ी, नागेंद्र सिंह नागौद समेत कुछ और लोग भी बात रखने वालों में शामिल हैं। साफ है कि भाजपा के सामने मंत्रिमंडल विस्तार आसान नहीं होगा।
गिरीश गौतम, विधायक, देवतालाब (रीवा) के मुताबिक, ‘कोरोना समेत कई मामलों को लेकर हम पांच-छह विधायकों ने बैठक की है। हम राजेंद्र शुक्ला का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन विंध्य में 30 में से 24 सीटें जीतने के बाद प्रतिनिधित्व तो बढ़ना चाहिए।’
मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा- ‘रतलाम, नीमच और मंदसौर में किसान आंदोलन के बाद भी जनता ने भाजपा को जिताया। पार्टी के प्रति निष्ठा है, लेकिन गुण-दोष के आधार पर अब विचार करना चाहिए। क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’
पूर्व मंत्री जो 5 साल के अंतराल के बाद विधायक बने
अजय विश्नोई, करण सिंह वर्मा, नागेंद्र सिंह नागोद, जगदीश देवड़ा, बृजेंद्र प्रताप सिंह, हरिशंकर खटीक, गोपीलाल जाटव, देवी सिंह सैय्याम और जयसिंह मरावी।
ओम प्रकाश सकलेचा, राजेंद्र पांडे, केदारनाथ शुक्ला, नागेंद्र सिंह गुढ़, देवेंद्र वर्मा, रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया, विजय पाल सिंह, प्रदीप लारिया, शैलेंद्र जैन, मालिनी गौड़, ऊषा ठाकुर, यशपाल सिंह सिसोदिया, ठाकुर नागवंशी, कुंवर सिंह टेकाम, संजय शाह, नीना वर्मा, बहादुर सिंह चौहान, गिरीश गौतम व प्रेम सिंह पटेल।
इन समीकरणों से मुश्किल
1.भाजपा को 24 सीटों पर उपचुनाव लड़ना है। इसमें 22 सीटें वो हैं, जिनमें कांग्रेस से भाजपा में आए उम्मीदवार बनेंगे। इनके क्षेत्र में मंत्री बनाया जाना टेढ़ी खीर होगा, क्योंकि 10 तो मंत्री बनेंगे ही।
2.इंदौर में तुलसी सिलावट के मंत्री बनने के बाद अब मालिनी गौड़ या ऊषा ठाकुर में से एक महिला मंत्री का दावा मजबूत होगा, लेकिन महेंद्र हार्डिया और रमेश मेंदोला को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
3. सागर में गोविंद सिंह राजपूत के बाद अब गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के साथ प्रदीप लारिया और शैलेंद्र जैन भी दावेदार होंगे। यहां भी चयन की चुनौती होगी।
4. शहडोल संभाग में बिसाहूलाल के मंत्री बनने की प्रबल संभावनाओं से पूर्व मंत्री जयसिंह मरावी का पत्ता कट सकता है।
5. हरदीप सिंह डंग के मंत्री बनने के बाद यशपाल सिंह सिसोदिया, राजेंद्र पांडे, ओमप्रकाश सकलेचा और चेतन कश्यप में से एक को चुनना होगा।
सीमए ने शुक्रवार को राजभवन पहुंच कर राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। उनके बीच लगभग 50 मिनट चर्चा हुई। इस दौरान सीएम ने प्रदेश में राज्यपाल को कोरोना की स्थिति के बारे में जानकारी दी। उनके बीच वर्तमान राजनीतिक हालात व विश्वविद्यालयों के सत्र को लेकर भी बातचीत हुई।