उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पैदल ही यमुना नदी को पार करते हुए सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर की ओर आगे बढ़ रहे हैं. सिर पर बैग लिए मजदूरों के चेहरों पर घर लौटने की खुशी से ज्यादा मायूसी नजर आ रही है.
कोई उत्तर प्रदेश के किसी अन्य जिले जाने के लिए निकला है तो कोई बिहार जाने को. बीती रात NDTV ने सभी प्रवासियों से बात की. उन्होंने बताया कि वह लोग हरियाणा के यमुनानगर से आ रहे हैं. यमुना नदी का जलस्तर कम होने की वजह से वह नदी से होते हुए पैदल आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘रास्ते में हमने जंगलों को भी पार किया. हमें डर तो लग रहा है लेकिन मजबूरी है. खाना नहीं मिल रहा है. सड़क से जा रहे हैं तो पुलिस डंडे मार रही है. हमारे पास पैदल जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.’ रात में सफर तय करने को लेकर उन्होंने कहा कि दिन में गर्मी की वजह से वह रात में आगे बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में लगभग 2000 से ज्यादा मजदूर इस रास्ते से गुजर चुके हैं.
24 साल का राकेश अंबाला में बतौर हेल्पर काम करता था. राकेश ने कहा कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया और उसके पास पैसे भी नहीं हैं. वह यमुनानगर में एक शेल्टर होम में रह रहा था. वहां पर उसे खाना नहीं मिल रहा था. जिसके बाद उसने घर लौटने का फैसला किया. मजदूर कहते हैं कि उनके पास ज्यादा खाना भी नहीं बचा है. उनमें से ज्यादातर भूखे हैं. आसपास के गांव के लोग मजदूरों को खाना दे रहे हैं.
यमुना नदी के आसपास पुलिस की तैनाती नहीं है. सहारनपुर पुलिस को इस बारे में सूचना दी गई. सहारनपुर प्रशासन का कहना है कि वह मजदूरों के लिए वाहन का इंतजाम कर रहे हैं. फिलहाल ज्यादातर मजदूर सहारनपुर स्थित शेल्टर होम में रह रहे हैं
साफ है कि मजदूरों में या तो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाए जाने की जानकारी का अभाव है या ज्यादा तादाद होने की वजह से इन ट्रेनों में सभी लोगों का नंबर नहीं आ रहा या फिर वह लोग संक्रमण के भय से इन ट्रेनों से जाना नहीं चाहते