आचार्य चाणक्य स्वयं एक शिक्षक थे. वे विश्वविख्यात तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे. इसलिए छात्रों की मनोदशा का उन्हें अच्छी तरह से ज्ञान था. चाणक्य ने विद्यार्थी जीवन को प्रभावित करने वाली हर अच्छी और बुरी चीजों का अध्ययन किया था. चाणक्य का मानना था कि विद्यार्थी जीवन बहुत ही कठिन और महत्वपूर्ण होता है. अगर ये संवर जाए तो व्यक्ति का भविष्य सुधर जाता है.
और अगर यही खराब हो जाए तो व्यक्ति जीवन भर संषर्घ और समस्याओं से घिरा रहता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में संकटों की भरमार रहती है, वह जीवन भर इनसे जुझता रहता है.
चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में विद्यार्थियों के लिए कुछ नियम बताए हैं जिन पर अमल कर इस जीवन को निखारा जा सकता है. चाणक्य का मानना है कि विद्यार्थी अवस्था में व्यक्ति का मस्तिष्क बहुत सक्रिय होता है. शारीरिक अवस्था भी इस उम्र अनुकूल होती है. इसलिए इस समय व्यक्ति अपनी सोच को जिस दिशा में मोड़ना चाहेगा वह उसी दिशा में मुड जाएगी.
युवावस्था किए परिश्रम से ही भविष्य की नींव तैयार होती है. युवावस्था और विद्यार्थी जीवन साथ साथ चलते हैं. इसलिए इसमें जो कुछ भी सीखा और समझा जाता है, वह जीवन पर व्यक्ति के काम आता है. व्यक्ति के जीवन में आने वाली सफलता और असफलतायें विद्यार्थी जीवन में किए गए श्रम के आधार पर ही तय होती हैं. इसलिए विद्यार्थी जीवन में इन बातों को कभी नहीं भूलना चाहिए-
आलस का त्याग करें
विद्यार्थी जीवन के लिए आलस किसी रोग से कम नहीं है. इस रोग से विद्यार्थी को दूर रहना चाहिए. आलस व्यक्ति को असफलता की तरफ ले जाता है. दूसरे लोग आगे निकल जाते हैं. इसलिए आलस नहीं करना चाहिए.
पढ़ाई के साथ खेल भी जरुरी हैं
इस जीवन में शिक्षा के साथ साथ खेल भी बहुत जरुरी है. खेलने से मन, मस्तिष्क और शरीर एक साथ बेहतर होते हैं. खेल जीत और हार के महत्व को बताते हैं. सफल होने के लिए किस तरह से प्रयास किए जाते हैं इसका प्रशिक्षण एक तरह से खेलों से ही प्राप्त होता है. क्योंकि सामूहिक प्रयास और लोगों के सहयोग का क्या महत्व होता है. इसकी समझ विकसित होती है.
समय पर करें प्रत्येक कार्य
जिस तरह से रात और दिन के निकलने का समय निर्धारित है उसी अनुशासन के साथ विद्यार्थी के हर कार्य को पूरा करने का समय निर्धारित होना चाहिए. समय प्रबंधन नहीं होगा तो सफलता पाने में मुश्किल आती है. इसलिए समय का महत्व जानना बहुत जरुरी है.
लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करें
विद्यार्थी जीवन में परिश्रम करने की आदत को विकसित कर लेना चाहिए. क्योंकि सफलताओं में परिश्रम का विशेष महत्व होता है. जो परिश्रम से घबराता है सफलता भी उससे कोसों दूर रहती है. इसलिए किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात परिश्रम करने की आदत विकसित करनी चाहिए. सफलता का यही मंत्र है.