सरकार ने विजिलेंस ब्यूरो में सभी सरकारी दफ्तरों की तरह 50 फीसदी कर्मचारियों को बुलाने के आदेशों से छूट दे दी है। इस संबंध में कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है सोशल डिस्टेंसिंग का जरूर ध्यान रखा जाए।
सरकार के इस कदम को प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ने और विजिलेंस को और एक्टिव करने के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले दो महीने में कोविड के दौरान विजिलेंस ब्यूरो के सभी कार्यालय बंद हो गए थे।
सरकार के आदेश के चलते भ्रष्टाचार की रोकथाम करने वाली एजेंसी के कार्यालय के दरवाजे बंद होते ही जैसे भ्रष्टाचार करने वालों की हिम्मत बढ़ गई। राज्य सचिवालय में कोविड से बचाव को हुई सैनिटाइजर खरीद में घोटाले की बात सामने आई।
करीब दस दिन बाद विभाग के दफ्तर खुले तो मामला दर्ज करने के साथ ब्यूरो की एसआईयू ने इसकी जांच शुरू कर दी। इस बीच, एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें स्वास्थ्य निदेशक और एक एजेंट के बीच पांच लाख के लेन-देन की बात सामने आई।
मामले ने तूल पकड़ा तो इसकी भी जांच ब्यूरो को दी गई। हालांकि, स्टाफ कम था, इसलिए ब्यूरो ने पहले वाले मामले की जांच रोककर नए मामले की जांच शुरू कर दी।
कांग्रेस ने दोनों मामलों को तूल दिया तो सरकार ने अब भ्रष्टाचार के मामलों की तेजी से जांच कराने के लिए पचास फीसदी कर्मचारियों को बुलाने की ब्यूरो के लिए बाध्यता को खत्म कर दिया है। ऐसे में अब वीरवार से विजिलेंस का पूरा स्टाफ काम पर आएगा। माना जा रहा है कि इसके बाद सभी मामलों की जांच में तेजी आ जाएगी।