कोरोना महामारी के बीच जहां मानव जाति पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं लॉकडाउन के दौरान देवभूमि हिमाचल की प्रकृति का शृंगार हो गया। लॉकडाउन के दौरान लोगों की चहल-पहल और गाड़ियों के शोर व उससे निकलने वाले प्रदूषण में कमी का असर वन्यजीवों से लेकर जलवायु तक पर पड़ा है।
प्रदेश वन विभाग के वन्यजीव विंग ने इस मियाद के दौरान विशेषज्ञों की मदद से तैयार रिपोर्ट में भी लॉकडाउन के वन्यजीवों और उनकी दिनचर्या पर असर को दर्ज किया है। रोहतांग दर्रा साफ हो गया। यहां का 10पीएम 60 से घटकर 35 पहुंच गया। प्रदेश की नदियां, झीलें सब साफ हो गईं।
पर्यावरण विभाग और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों के एक समूह के अनुसार लॉकडाउन में शिमला से लेकर प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक में विभिन्न प्रकार की चिड़ियों की साइटिंग हुई है। इनमें कई ऐसी चिड़ियां हैं, जो सामान्य समय में आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं दिखीं।
चिड़ियों की पहचान करने वाले कई विशेषज्ञों ने अपने घरों से चालीस तरह की चिड़ियों की साइटिंग दर्ज की है। तेंदुए भी शहरी आबादी के आसपास दिखे। पीसीसीएफ वन्यजीव डॉ. सविता कहती हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि शहर जंगलों से घिरे हैं,
लेकिन शहरों में वाहनों और लोगों की आवाजाही से वे कभी-कभी ही उन इलाकों में जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान शांति की वजह से वे अपना ही क्षेत्र समझकर इन इलाकों में आ रहे थे। लॉकडाउन में खाने की कमी के चलते बंदरों ने भी जंगलों का रुख किया है।
वाहनों से लेकर उद्योगों तक के संचालन न होने से गैस और डस्ट पार्टिकल वाला प्रदूषण औसत से आधा हो गया। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने बताया कि वैसे तो ज्यादातर शहरों में ही आरएसपीएम (पीएम10) की मात्रा 100 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से भी कम रहती थी, लेकिन लॉकडाउन में और घटी।